रिपोर्ट : अलका मिश्रा, बेरमो।
दिन बुधवार, समय सुबह तकरीबन साढ़े दस बजे हर रोज की तरह परमजीत कौर पति स्व सतविंदर सिंह, उम्र- 45 वर्ष, पता-कथारा 4 नंबर, क्वार्टर नंबर- MQ -440, ओपी- कथारा, जिला- बोकारो निवासी एक विधवा CCL कर्मी अपने आवास से कथारा फिल्टर प्लांट ड्यूटी पर जाने के लिए निकली। उसके घर से कुछ ही दूरी पर पहले से घात लगाकर बैठे कुछ लोग अचानक उसपर टूट पड़े और उसपर लाठी, डंडा, रॉड, लात, जूता, घूँसा व थप्पड़ो की बौछार शुरू कर दी। वो कुछ समझ पाती तबतक उनलोगों ने उसे जमीन पर पटक दिया और घसीटते हुए कुछ दूर तक ले गए व उसका मोबाईल छीन लिया। इस मारपीट में उसके कपड़े फट गए छाता टूट गया, कान व नाक से खुन निकलने लगे लेकिन वो लोग उसे मारते रहे।
पुलिस का संवेदनहीन रवैया
खबर सुनकर पुलिस भी दलबल के साथ अपनी गाड़ी से आई लेकिन गाड़ी से बिना उतरे और छुड़ाने के बजाय उन आतताइयों को हीं आदेश दिया कि उस महिला को कथारा ओपी तक पहूंचा दें और वे आततायी उस महिला को मारते हुए हीं थाने तक ले गए। खैर… थाना पहूँचने के बाद थाना प्रभारी की कृपा से छीना गया मोबाईल फोन महिला को वापस दिलाया गया। फिर थानाप्रभारी द्वारा महिला को तत्काल अस्पताल जाकर अपना ईलाज कराने को कहा गया। महिला किसी तरह लड़खड़ाते हुए थाना से अस्पताल तक पहूँची। वहाँ उसकी हालत देखते हीं चिकित्सक डाॅ बीके झा ने BTPS थाना को फोन कर इसकी सूचना दी और उसे Admit कर उपचार शुरू कर दिया। उसकी चोट को देखते हुए उसे ढ़ोरी रिजनल हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया।
पीड़िता द्वारा कुछ लोगों को नामजद करके केस दर्ज करने के लिए एक आवेदन कथारा ओपी को दिया गया है। अफसोस कि समाचार लिखे जाने तक प्राथमिकी दर्ज किए जाने की कोई सूचना नहीं है। केस की वस्तुस्थिति जानने के लिए जब संवाददाता द्वारा थाना प्रभारी को फोन किया गया तो थाना प्रभारी गुस्से से बिफर उठे और संवाददाता पर हीं अपना गुस्सा झाड़ डाला, लेकिन कांड संख्या नहीं बताया गया। फिलहाल समाचार लिखे जाने तक कांड संख्या तो दूर की बात है, FIR दर्ज हुई है या नहीं, ये भी पता नहीं चल सका है।
आरोपी अवैध शराबभठ्ठी का संचालक
प्राथमिकी के लिए दिए गए नामजद आवेदन में एक नाम बिरजा उर्फ गोरा का है जो कि प्राप्त सूत्रों के अनुसार कथारा 4 नंबर स्थित चीफ हाऊस में चल रहे शराब भट्ठी का मुख्य संचालक है और विदित हो कि वर्तमान ओपी प्रभारी द्वारा कथारा ओपी में पदभार ग्रहण करते ही उसके शराब भठ्ठी को ध्वस्त करने की कारवाई की गई थी, पर कुछ समय बाद हीं यह भठ्ठी फिर से अपने पुराने रंग में आ गई। मतलब साफ है कि थाना का वरदहस्त प्राप्त हो गया। पीड़िता के प्रति प्रशासन का संवेदनहीन होने का शायद ये भी एक कारण (अवैध शराब भठ्ठी की अवैध कमाई) रहा हो। थानेदार बेचारा क्या करे.. “सब गंदा है पर, ये धंधा है”।
बहरहाल देश अपना 77वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा। एक आजाद देश में जहाँ जनता की, जनता के लिए, जनता के द्वारा चलाई गई सरकार हो वहाँ सरेआम एक अबला महिला के साथ झुंड में मिलकर ऐसा वहशियाना कृत्य हो रहा है और आश्चर्य की जनता की रक्षक पुलिस प्रशासन भी कानूनी कारवाई करना तो दूर मूकदर्शक बनी हो। उस देश की अबलाओं की स्थिति क्या होगी सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।