- पेपर लीक के मास्टरमाइंड, योगी सरकार को छात्रों के भारी गुस्से का सामना करना पड़ रहा है।
- एनबीएस ने दो सत्रों की परीक्षा तत्काल वापस लेने की मांग की।
- छात्रों का गुस्सा भ्रष्ट चयन, जानबूझकर पेपर लीक, कई परीक्षाओं के रद्द होने और बढ़ती बेरोजगारी पर है।
Bulletin India.
उत्तर प्रदेश में पेपर लीक की बढ़ती घटनाओं के खिलाफ छात्रों का गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार और पेपर लीक के मामलों में उचित कार्रवाई न करने के आरोप लगाए जा रहे हैं। छात्रों ने हाल में हुई आरओ और एआरओ परीक्षाओं के पेपर लीक के अलावा पुलिस भर्ती परीक्षा में पेपर लीक की घटनाओं पर नाराजगी जताई है।
छात्र संगठन नौजवान भारत सभा (एनबीएस) ने छात्रों के इस आंदोलन का समर्थन करते हुए दो सत्रों में परीक्षा आयोजित करने के फैसले को वापस लेने की मांग की है। एनबीएस के संयोजक संजय निषाद और सहयोगी राहुल कुशवाहा एवं सौरभ ने इस मुद्दे पर सरकार से त्वरित और निष्पक्ष समाधान की अपील की है। एनबीएस ने मांग की है कि परीक्षाएं नियमित और समय पर आयोजित की जाएं ताकि छात्रों का भविष्य सुरक्षित रहे।
एनबीएस के प्रवक्ता ने कहा कि पेपर लीक की लगातार बढ़ती घटनाएं सरकार की कार्यक्षमता पर सवाल उठाती हैं। एनबीएस का आरोप है कि सरकार पेपर लीक के मामलों में दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने के बजाय छोटे निजी ऑपरेटरों को गिरफ्तार कर मामले को दबाने का प्रयास कर रही है।
इस मुद्दे पर एनबीएस ने आरोप लगाया कि सरकार पेपरों को जानबूझकर निजी प्रिंटिंग प्रेस में छपवाती है, जिससे वे विभिन्न माध्यमों से लीक हो जाते हैं। पिछली बार हुए विरोध प्रदर्शन के बाद सरकार ने घोषणा की थी कि सभी परीक्षाएं केवल सरकारी केंद्रों पर ही आयोजित की जाएंगी। इसके बावजूद, वर्तमान में परीक्षाओं को दो सत्रों में आयोजित करने का फैसला लिया गया है, जिसे एनबीएस ने छात्रों के हितों के खिलाफ बताया है।
एनबीएस ने दो सत्रों में परीक्षा आयोजित करने की प्रक्रिया को भ्रष्टाचार के नए अवसर का आरोप लगाते हुए इसे रद्द करने की मांग की है।