संवाददाता, रांची।
CPI(M) ने राज्य सरकार से विस्थापन आयोग गठन करने की मांग की है। इस संबध में पार्टी ने मुख्यमंत्री से मांग की है। साथ हीं मुख्यमंत्री को सुझाव भी दिये है। जिसमें बताया गया है कि विस्थापन आयोग का गठन जल्द से जल्द किया जाये। गठन के साथ हीं आयोग को केवल खनन मामलों तक ही सीमित नहीं रखा जाए। क्योंकि झारखंड में खनन मामलों के अलावा एचईसी, बोकारो स्टील प्लांट सहित कई सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के उद्योगों की स्थापना सहित कई डैम व सिंचाई परियोजनाओं और सेना की छावनियों के निर्माण सहित कई अन्य परियोजनाओं से भी झारखंड में बड़ी संख्या में रैयतों और किसानों का उनके पूरे परिवार सहित विस्थापन हुआ हैं। वैसे विस्थापितों के मुआवजा, नौकरी और पुनर्वास की समस्याएं अब तक लंबित है और मुआवजा के भूगतान के मामलों में भी भारी अनियमितता है। विस्थापितों की समस्या का समाधान नहीं होने के कारण राज्य के कई स्थानों पर खनन कार्य करने वाली कंपनियों और स्थानीय रैयतों के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है।
CPI(M) के राज्य सचिवमंडल की मांग है कि राज्य सरकार की घोषणा के आलोक में केवल खनन नहीं बल्कि सभी तरह के विस्थापन के मामलों के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जज के नेतृत्व में राज्य विस्थापन आयोग का गठन किया जाए। जो एक तय समय सीमा के अंदर विस्थापित हुए लोगों के रोजगार, पुनर्वास और मुआवजा के संबंध में फैसला करे। CPI(M) का राज्य सचिवमंडल मुख्यमंत्री से आग्रह करता है कि अपने घोषणा के अनुरूप उनके द्वारा पहल की जाए।