नालंदा से मुन्ना पासवान की खबर।
बिहार सरकार द्वारा शुरू की गई महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री उद्यमी योजना, जो दलित और महादलित परिवारों को स्वरोजगार के लिए ऋण प्रदान करने के उद्देश्य से लागू की गई थी, अब विवादों में घिर गई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नालंदा के अध्यक्ष राजकुमार पासवान ने आरोप लगाया है कि इस योजना के तहत अनुसूचित जाति और महादलित समुदाय के लोगों को लोलीपॉप दिखाया जा रहा है।
इस योजना के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 16 अगस्त 2024 निर्धारित की गई थी और लाभार्थियों की सूची 23 अगस्त 2024 को जारी की गई। पासवान का आरोप है कि जारी की गई सूची में दलित, महादलित और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के बहुत कम लोगों को योजना का लाभ दिया गया है, जो अधिकारियों की मनमानी को दर्शाता है। उन्होंने इस संदर्भ में मुख्यमंत्री से इस योजना के आवेदन और स्वीकृति प्रक्रिया की जांच करने की मांग की है।
पिछले वर्ष भी इसी तरह की शिकायतें आई थीं, और इस बार फिर से अनुसूचित जाति के लोगों को नजरअंदाज किए जाने का आरोप लगाया गया है। पासवान ने चेतावनी दी है कि यदि दलित और महादलित समुदाय के लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिला तो उनकी पार्टी आंदोलन छेड़ेगी। उन्होंने मुख्यमंत्री से सभी गरीब दलितों को ऋण मुहैया कराने की अपील की है, जिससे वे स्वरोजगार स्थापित कर सकें।