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रीना एस. पॉल, प्रधान संपादक।
भारतीय सिनेमा हमेशा से विविधता, सांस्कृतिक धरोहर और मनोरंजन के संगम का प्रतीक रहा है। हाल ही में दक्षिण भारतीय सिनेमा की फिल्म “थंगालान” ने इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए दर्शकों के दिलों में अपनी एक विशेष जगह बनाई है। “थंगालान” न केवल एक मनोरंजक फिल्म है, बल्कि यह भारतीय इतिहास, समाज और परंपराओं का आईना भी है।
यह फिल्म तमिल सिनेमा की अद्वितीय प्रस्तुति है, जिसका निर्देशन प्रतिष्ठित निर्देशक पा. रंजीत ने किया है। पा. रंजीत का नाम हमेशा से सामाजिक मुद्दों पर आधारित कहानियों और ऐतिहासिक दृष्टिकोण को प्रासंगिक रूप में प्रस्तुत करने के लिए जाना जाता है। “थंगालान” भी इस क्रम में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ती है। फिल्म की कहानी 19वीं सदी के तमिलनाडु के मद्रास में घटित होती है, जो उस समय अंग्रेजी हुकूमत के अधीन था। फिल्म की मुख्य कथा कोलार गोल्ड फील्ड्स में काम करने वाले मजदूरों के जीवन पर केंद्रित है। इन मजदूरों का संघर्ष, जीवन और उनके अधिकारों के लिए की गई लड़ाई फिल्म का मूल विषय है।
फिल्म का मुख्य पात्र एक योद्धा है, जो कोलार में स्वाभिमान और न्याय के लिए लड़ता है। योद्धा का यह चरित्र ना केवल साहस और वीरता का प्रतीक है, बल्कि यह उस समय की सामाजिक और आर्थिक असमानताओं का भी प्रतीक है। मजदूरों का शोषण, उनके अधिकारों की अनदेखी और समाज में व्याप्त भेदभाव को फिल्म ने बहुत ही सजीव और सटीक ढंग से प्रस्तुत किया है।
“थंगालान” की सबसे बड़ी विशेषता इसकी कहानी और दृश्यांकन है। फिल्म में 19वीं सदी के तमिलनाडु को बहुत ही वास्तविक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है। फिल्म के सेट, वेशभूषा और भाषा ने दर्शकों को उस समय की वास्तविकता से जोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसके अलावा, फिल्म का संगीत और बैकग्राउंड स्कोर भी प्रशंसनीय है, जो दर्शकों को हर पल कहानी से जोड़े रखता है।
फिल्म के कलाकारों की बात करें तो मुख्य भूमिका में आर्य ने अपने अभिनय से सभी को प्रभावित किया है। आर्य ने एक साहसी योद्धा की भूमिका को बहुत ही प्रभावशाली ढंग से निभाया है। उनकी बॉडी लैंग्वेज, संवाद और संघर्षपूर्ण दृश्यों ने दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी है। साथ ही, सहायक कलाकारों का भी प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा है, जिन्होंने फिल्म की गहराई को और भी बढ़ाया है।
“थंगालान” केवल एक फिल्म नहीं है, यह भारतीय समाज की उन जड़ों को भी उजागर करती है, जिन्हें अक्सर मुख्यधारा की कहानियों में नजरअंदाज किया जाता है। फिल्म मजदूरों के संघर्ष और उनके अधिकारों की लड़ाई को प्रमुखता से प्रस्तुत करती है, जो वर्तमान समाज के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश है।
इसके साथ ही, “थंगालान” एक नई सोच और दृष्टिकोण को भी सामने लाती है। यह फिल्म दर्शकों को केवल मनोरंजन ही नहीं, बल्कि सोचने पर भी मजबूर करती है। फिल्म के जरिए यह संदेश दिया गया है कि समाज में समानता और न्याय की स्थापना के लिए संघर्ष आवश्यक है। यह एक ऐसी फिल्म है जो इतिहास और वर्तमान दोनों को जोड़ने का कार्य करती है, और भारतीय सिनेमा में इसका विशेष स्थान है।
अगर “थंगालान” जैसी फिल्म समाज के लिए महत्वपूर्ण संदेश देती है या संस्कृति, इतिहास, या किसी सामाजिक मुद्दे को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करती है, तो उसे टैक्स फ्री करने का विचार सही हो सकता है। सरकार अक्सर उन फिल्मों को टैक्स फ्री करती है जो शिक्षा, जागरूकता या सामाजिक परिवर्तन को प्रोत्साहित करती हैं।
हालांकि, यह फैसला राज्य सरकार या केंद्र सरकार पर निर्भर करता है कि वे किसी फिल्म को टैक्स फ्री घोषित करें या नहीं, और इसके लिए फिल्म की सामग्री और उसके प्रभाव का मूल्यांकन किया जाता है।
अंत में, “थंगालान” एक ऐसी फिल्म है जो भारतीय सिनेमा के इतिहास में अपनी अलग पहचान बनाने में सक्षम है। इसके ऐतिहासिक संदर्भ, समाजिक मुद्दों पर गहन दृष्टिकोण और उत्कृष्ट अभिनय ने इसे एक महत्वपूर्ण सिनेमा के रूप में प्रस्तुत किया है।