राज्य की विलुप्त होती संस्कृति को बचाना व बढ़ावा देना जरूरी: सुरेश जैन

BULLETIN INDIA DESK ::

“झारखंड एकेडमिक फोरम ने 24वें झारखंड स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर परिचर्चा और मिलन समारोह का दिल्ली में किया आयोजन।”

Bulletin India.

महावीर कुमार की खबर

14 नवंबर गुरुवार को झारखंड एकडेमिक फोरम ने झारखंड के 24वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर दिल्ली विश्वविद्यालय के गांधी भवन में भव्य परिचर्चा एवं मिलन समारोह का आयोजन किया। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुरेश जैन और संयोजक के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के सीनियर प्रोफेसर तथा झारखंड एकेडमिक फोरम के संस्थापक व संयोजक प्रो. निरंजन कुमार, रवि शंकर (निदेशक, सभ्यता अध्ययन केंद्र), लक्ष्मण भावसिंहका (समाजसेवी), और मुरारी शरण शुक्ला (पत्रकार) उपस्थित थे।

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समारोह के मुख्य अतिथि सुरेश जैन ने झारखंड से जुड़े अपने लम्बे अनुभव को साझा करते हुए झारखंड के विकास में शिक्षा, संस्कृति और सामाजिक समरसता के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

उन्होंने कहा कि राज्य को आगे ले जाने के लिए सामाजिक एवं शैक्षिक क्षेत्र में व्यापक सुधार आवश्यक हैं। कश्मीर, उत्तराखंड, नागालैंड, झारखंड आदि राज्यों की विलुप्त होती संस्कृति को आज के समय में बचाने की जरूरत है एवं अग्रिम विकसित राज्य के रूप में वहां गरीब लोगों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

झारखंड एकेडमिक फोरम के संस्थापक एवं संयोजक प्रो. निरंजन कुमार ने फोरम की गतिविधियों एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह मंच झारखंड की प्रगति एवं विकास में संलग्न रहकर सामाजिक, सांस्कृतिक, और शैक्षिक कार्यों को प्रोत्साहन देने का प्रयास कर रहा है। झारखंड सांस्कृतिक और प्राकृतिक रूप से सम्पन्न होने के बाद भी शिक्षा,स्वास्थ्य व रोज़गार आदि सभी विकास के पैमानों में भारत के सबसे पिछड़े राज्यो में से है, इसलिए हम सभी को संकल्पबद्ध होकर झारखंड के विकास के लिए प्रयास करना होगा।

रवि शंकर ने भारतीय सभ्यता और संस्कृति में झारखंड के योगदान की सराहना की व इनके रक्षा व विकास दोनों पर बल दिया, वहीं लक्ष्मण भावसिंहका ने समाजसेवा के माध्यम से झारखंड की उन्नति की दिशा में किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला व कहा कि ट्राइबल केंद्रित होना राज्य के विकास में सबसे बड़ी बाधा है।

मुरारी शरण शुक्ला ने झारखंड में जनजातीय संस्कृति की महत्ता को बताते हुए राजनीतिक जागरूकता को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
वक्ताओं ने झारखंड की सांस्कृतिक विरासत, सामाजिक प्रगति और राज्य की विकास यात्रा पर अपने विचार साझा किए।

वक्ताओं ने राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और उसके संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि झारखंड की परंपराओं और रीति-रिवाजों को अगली पीढ़ियों तक पहुँचाना आवश्यक है। इस अवसर पर राज्य की आर्थिक और सामाजिक स्थिति, शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन संवाद हुआ। वक्ताओं ने झारखंड की प्रगति के लिए संभावनाओं पर चर्चा करते हुए राज्य को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिए आवश्यक कदमों पर भी सुझाव दिए।

कार्यक्रम में झारखंड से जुड़े प्रोफेसरों, पत्रकारों, शिक्षकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों व विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों की सहभागिता रही। झारखंड एकेडमिक फोरम (J.A.F.) का उद्देश्य झारखंड के विकास और प्रगति के लिए जागरूकता अभियान चलाना है। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिलब्ध प्रोफेसर्स, विचारक व विषय-विशेषज्ञों का यह फोरम झारखंड राज्य के चौमुखी हेतु दृढ़ संकल्पित संस्था है।

कार्यक्रम का संचालन जेएमसी महाविद्यालय की सहायक प्रोफेसर डॉ शिवानी सक्सेना ने और धन्यवाद ज्ञापन एसएससीबीएस महाविद्यालय के अतिथि शिक्षक सतीश तिवारी ने किया।

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