गुआ से सिद्धार्थ पांडेय की खबर।

गुआ। सारंडा गाँव के विभिन्न क्षेत्रों में टुसू पर्व पूरे श्रद्धा एवं उमंग के साथ मनाया गया। ग्रामीणों के द्वारा दोदारी गांव के साथ-साथ सलाई में टुसू पर्व के अवसर पर युवक एवं युवतियों को नृत्य-गीत में शामिल देखा गया। सलाई गांव में आयोजित टुसू पर्व के अवसर पर गांव के महिलाओं को सुंदर एवं आकर्षक परिधान में पूजा करते एवं नृत्य गीत में शामिल देखा गया। मौके पर गांगदा पंचायत के मुखिया राजू सांडिल ने कहा कि टुसू पर्व झारखंड के पंचपरगना का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। यह जाड़ों में फसल कटने के बाद 15 दिसंबर से लेकर मकर संक्रांति तक लगभग एक महीने तक मनाया जाता है। टूसू का शाब्दिक अर्थ कुंवारी है। वैसे तो झारखंड के सभी पर्व-त्योहार प्रकृति से जुड़े हुए हैं, लेकिन टुसू पर्व का महत्व कुछ और हीं है। मौके पर स्थानीय गांव के मंगल कुम्हार, श्याम सुरीन, सन्नी, बबली कुमारी, संजू दास, नीलम दास, राजा हुरदनंद कुमार, रीता सांडिल व अन्य कई देखे गए।

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