महासभा की मांग मानसून सत्र में PESA को पूर्ण रूप से लागू किया जाये, मुख्यमंत्री को दिया पत्र

विशद कुमार✒️

झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र एक अगस्त 2025 से होगी और यह मानसून सत्र सात अगस्त तक चलेगा। इसी आलोक में 24 जुलाई को प्रोजेक्ट भवन स्थित मंत्रालय में झारखंड कैबिनेट की बैठक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में आयोजित हुई, जिसमें कुल 21 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।

मानसून सत्र में PESA को लेकर झारखंड का एक सामाजिक संगठन झारखंड जनाधिकार महासभा द्वारा कैबिनेट की बैठक के पूर्व मुख्यमंत्री के नाम एक सार्वजानिक पत्र जारी की गई, जिसमें मांग की गई है कि विधान सभा का होने वाला आगामी मानसून सत्र में PESA (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरियाज़ एक्ट) को पूर्ण रूप से लागू किया जाये।

उल्लेखनीय है कि पेसा एक्ट, जिसे “पंचायतों के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996” भी कहा जाता है, 24 दिसंबर, 1996 को लागू हुआ था। यह अधिनियम भारत के संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत आने वाले क्षेत्रों में पंचायती राज प्रणाली को लागू करने के लिए बनाया गया था।

पेसा एक्ट के मुख्य उद्देश्यों में अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को स्वशासन और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में सशक्त बनाना, आदिवासी समुदायों को शोषण से बचाना, पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों में आदिवासी स्वशासन को सक्षम बनाना शामिल है।
यह अधिनियम दिलीप सिंह भूरिया समिति की सिफारिशों पर आधारित है।

बताना जरूरी हो जाता है कि देश के अनुसूचित क्षेत्रों वाले राज्यों की सूची में झारखंड भी शामिल है, लेकिन अबतक यहां पेसा एक्ट लागू नहीं हो पाया है। यहां तक कि 2022 में सरकार ने जो पेसा रूल बनाया, उसपर भी विवाद हो गया है। पेसा एक्ट को झारखंड के आदिवासियों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

2024 विधान सभा चुनाव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा किए गए वादों की याद दिलाते हुए महासभा ने अपने पत्र में जिक्र किया है कि 2024 विधान सभा चुनाव में राज्य के आदिवासी-मूलवासियों ने अबुआ राज की स्थापना के लिए INDIA गठबंधन को स्पष्ट बहुमत दिया था। लेकिन सरकार ने अबुआ राज की स्थापना के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण PESA को अभी तक पूर्ण रूप से लागू नहीं किया है। महासभा समेत राज्य के कई संगठन पिछले कुछ सालों से लगातार PESA लागू करने की मांग करते रहे हैं। जबकि गठबंधन दलों ने चुनाव में वादा भी किया था, लेकिन इस ओर राज्य सरकार अत्यंत उदासीन है जो झारखंडियों की भावनाओं के साथ धोखा है।

महासभा ने पत्र में PESA लागू करने की प्रक्रिया पर भी ध्यान केन्द्रित किया है कि संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार PESA के प्रावधान राज्य के पंचायत राज कानून से ही लागू हो सकते हैं, लेकिन झारखंड पंचायत राज अधिनियम, 2001 (JPRA) में PESA के अधिकांश प्रावधान सम्मिलित नहीं है। इसलिए PESA को पूर्ण रूप से लागू करने के लिए सबसे पहले PESA के सभी अपवादों और उपान्तरणों अनुरूप JPRA को संशोधित कर सभी प्रावधानों को जोड़ने की ज़रूरत है। इसके बाद ही, इन प्रावधानों अनुरूप PESA नियमावली का गठन किया जाना है।
बता दें कि लगातार जन दबाव के बाद सरकार द्वारा 9 मई 2025 को PESA नियमावली का ड्राफ्ट सार्वजनिक किया गया और एक महीने में सुझाव आमंत्रित किये गए।
महासभा ने JPRA में आवश्यक संशोधनों व प्रस्तावित नियमावली में संशोधनों के सुझावों को विभागीय मंत्री, अन्य मंत्रियों व विभाग को कई बार दिया है। अन्य कई संगठनों ने भी सुझाव दिये हैं।

महासभा ने मुख्यमंत्री को वर्तमान स्थिति को भी याद दिलाया है और कहा है कि JPRA में संशोधन और PESA विषयक नियमावली में विलम्ब से पारंपरिक स्वशासन और ग्राम सभा अधिकार अति सीमित बने रहेंगे। नौकरशाहों के हाथों में शक्तियां सिमटी रहेंगी। राज्य के नौकरशाही का मूल रवैया झारखंडी जनों और हितों के प्रति असंवेदनशील है। अगर इसे बदला न गया, तो जनाकांक्षाओं के अनुकूल कार्यों की उपेक्षा होती रहेगी और जन असंतोष गहराता जाएगा।

इस परिप्रेक्ष में महासभा मुख्यमंत्री से मांग की है कि PESA को पूर्ण रूप से लागू करने के लिए 2025 मानसून सत्र में JPRA को संशोधित किया जाये एवं PESA नियमावली को सभी प्राप्त जन सुझावों को सम्मिलित करते हुए अधिसूचित किया जाये। इसके बाद अगले 6 महीने में अन्य सम्बंधित कानूनों जैसे Jharkhand Rights to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement Rules, (झारखंड भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार नियम) 2015, झारखंड नगरपालिका अधिनियम, 2011 आदि में PESA अनुरूप संशोधन किया जाये।

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महासभा की ओर से पत्र देने वालों में :-

अफज़ल अनीस, अलोका कुजूर, अमन मरांडी, अम्बिका यादव, अम्बिता किस्कू, अपूर्वा, अशोक वर्मा, बासिंग हस्सा, भरत भूषण चौधरी, बिरसिंग महतो, चार्लेस मुर्मू, चंद्रदेव हेम्ब्रम, डेमका सॉय, दिनेश मुर्मू, एलिना होरो, जेम्स हेरेज, जॉर्ज मोनिपल्ली, ज्यां द्रेज़, ज्योति बहन, ज्योति कुजूर, कुमार चन्द्र मार्डी, लीना, मंथन, मनोज भुइयां, मेरी हंसदा, मुन्नी देवी, मीना मुर्मू, नरेश पहाड़िया, प्रवीर पीटर, प्रेम बबलू सोरेन, पी एम टोनी, प्रियाशीला बेसरा, नन्द किशोर गंझू, परन, प्रवीर पीटर, रिया तुतिका पिंगुआ, राजा भाई, रंजीत किंडो, रमेश जेराई, रोज खाखा, रोज मधु तिर्की, रमेश मलतो, रेजिना इन्द्वर, रेशमी देवी, राम कविन्द्र, संदीप प्रधान, संगीता बेक, सिराज दत्ता, शशि कुमार, संतोषी लकड़ा, सिसिलिया लकड़ा, शंकर मलतो, टॉम कावला, टिमोथी मत्ततो, विनोद कुमार, विवेक कुमार आदि शामिल हैं।

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