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विशद कुमार ✒️
केंद्र सरकार सोनम को निशाना बनाकर और उनका उत्पीड़न करके क्षेत्र में और अधिक गुस्सा और अलगाव को बढ़ावा दे रही है। पिछले दिनों युवाओं के आंदोलन में 4 युवाओं की दुखद मौत और सैकड़ों की संख्या में घायल हुए लोगों की इस गंभीर स्थिति को देख यह अनुमान लगाया जा सकता हैं कि केंद्र सरकार किस तरह जनता की मांग को नजरअंदाज कर उन्हें देशद्रोही करार कर अपने कॉरपोरेट साथियों की मदद कर रही है।
जिस प्रकार झारखंड की पहचान, जमीन और रोजगार के लिए यहाँ के युवा दशकों से लड़ रहे हैं, उसी प्रकार लद्दाख के आदिवासी युवाओं का संघर्ष भी पहचान, पर्यावरण और सम्मान के अधिकार के लिए है। केंद्र सरकार सोनम वांगचुक को गिरफ्तार कर और झूठे आरोप लगाकर अलगाववाद पैदा कर रही है और लोगों को भड़काने का काम कर रही है।
यह पूरा घटनाक्रम केंद्र सरकार के गैर-लोकतांत्रिक तरीके से धारा 370 को ख़तम करना और पूरे लद्दाख-जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र का गला घोटने का ही हिस्सा है।
लद्दाख की मांग केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि जीवन और जलवायु संरक्षण से जुड़ी हुई है। लद्दाख दुनिया के सबसे संवेदनशील हिमालयी पारिस्थितिक तंत्रों में से एक है, बड़े औद्योगिक प्रोजेक्ट्स से वहाँ के ग्लेशियरों को खतरा है।
संवैधानिक छठी अनुसूची लागू होने से वहाँ की स्थानीय आदिवासी आबादी को अपनी जमीन, संसाधनों और नौकरियों पर नियंत्रण मिल सकेगा। पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने से स्थानीय लोगों की भागीदारी सांसद सीटों में सुनिश्चित होगी और उन्हें अपना भविष्य स्वयं तय करने का अधिकार मिलेगा।
इन तमाम मामलों पर 6 अक्टूबर को राज्य के कई सामाजिक संगठनों व राजनीतिक दलों का साझा मंच झारखंड जनाधिकार महासभा, साझा कदम,भाकपा माले, आदिवासी संघर्ष मोर्चा, ऐपवा, महिला हिंसा विरोधी संगठन, आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच, बगईचा व जलेस द्वारा राजधानी रांची के अल्बर्ट एक्का चौक पर एक कार्यक्रम किया गया जिसमें कहा गया कि हम सभी साथी व्यक्तिगत और संगठनिक तौर से केंद्र सरकार की लद्दाख पर दमन एवं सोनम वांगचुक की राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत प्रायोजित गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करते हैं मांग करते हैं कि लेह लद्दाख को तत्कालीन पूर्णरूप से राज्य घोषित करे एवं 6ठी अनुसूचित क्षेत्र का दर्जा दे।
अवसर पर मांग की गई जिसमें :-
1. सोनम वांगचुक की तत्काल रिहाई हो और NSA आरोपों को बिना शर्त वापस लिया जाए।
2. केंद्र सरकार लेह-लद्दाख को तुरंत पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान करे।
3. लद्दाख में स्थानीय लोगों के अधिकार और पर्यावरण की रक्षा के लिए संविधान की छठी अनुसूची लागू की जाए।
4. हिंसा में चार युवाओं की मौत और घायलों की घटना की उच्च-स्तरीय न्यायिक जांच कराई जाए मांगें शामिल हैं।
कार्यक्रम में श्रीनिवास, भारत भूषण चौधरी, कुमार वरुण, चंद्रभूषण चौधरी, प्रवीर पीटर, टॉम कावला, टोनी पीएम, लीना पादम, नंदिता भट्टाचार्य,यासमीन लाल, लक्खी मनी मुंडा , सुदामा खालखो, सिराज दत्ता, सिस्टर मरीना, पंकज कुजूर, मीरा चौधरी, दीप्ति बेसरा, विजय शंकर नायक, लक्ष्मी गोप, एम जेड खान, सेड्रिक प्रकाश, ज्योति कुजूर इत्यादि साथी शामिल रहे।
बताते चलें कि भारतीय संविधान की छठी अनुसूची का उद्देश्य स्वायत्त शासन के माध्यम से जनजातीय आबादी और उनके हितों की रक्षा करना है। यह असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम पर लागू है।
छठी अनुसूची स्वायत्त संस्थागत तंत्र स्थापित करती है जिसके पास शासन के लिए विधायी, न्यायिक और कार्यकारी शक्तियाँ होती हैं। परिषदें अपनी सभी शक्तियाँ और कार्य सीधे संविधान से प्राप्त करती हैं।
लद्दाख में, जहां 97 प्रतिशत जनजातीय आबादी है, लोग इस मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं कि केंद्र शासित प्रदेश को छठी अनुसूची के अंतर्गत लाया जाए, ताकि स्थानीय परिषदों को अपने पर्यावरण और संस्कृति के संरक्षण पर स्वायत्तता मिल सके।
उल्लेखनीय है कि लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग पिछले कई सालों से की जा रही है। मांग को लेकर पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक लगातार धरना देते आ रहे हैं।
इसी मांग को लेकर पिछले 24 सितंबर 2025 को हिंसा भड़की जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई, तब सोनम वांगचुक ने अपना धरना कार्यक्रम वापस ले लिया था।
लेकिन 26 सितंबर को लेह में हिंसा भड़काने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें लद्दाख से निकालकर जोधपुर सेंट्रल जेल में रखा गया।
बता दें कि सोनम वांगचुक की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में हैबियस कॉर्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका दायर की थी।
लद्दाख के पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 6 अक्टूबर को सुनवाई हुई।
इस याचिका में वांगचुक की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एएसए) की गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए उनकी तत्काल रिहाई की मांग की गई थी।
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, लद्दाख प्रशासन और जोधपुर जेल प्रबंधन को नोटिस जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने सुनवाई की। इस दौरान सोनम वांगचुक की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जो दलील दी, जिसे सुनने के बाद अदालत ने केंद्र सरकार, लद्दाख प्रशासन और जोधपुर जेल प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।