• झारखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चंद्रशेखर उर्फ ददई दुबे का निधन, राजनीतिक और मजदूर आंदोलन को बड़ा झटका

• लंबे समय से चल रहे थे बीमार, दिल्ली में ली अंतिम सांस; विश्रामपुर से छह बार विधायक और धनबाद से रह चुके हैं सांसद

बुलेटिन इंडिया।

रांची/नई दिल्ली। झारखंड की राजनीति को गुरुवार को गहरा आघात पहुंचा जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री और मजदूरों की बुलंद आवाज माने जाने वाले चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे का निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और नई दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर फैलते ही पूरे झारखंड में शोक की लहर दौड़ गई।

 

गढ़वा जिले के विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र से छह बार विधायक रह चुके ददई दुबे न सिर्फ एक अनुभवी जनप्रतिनिधि थे, बल्कि उन्होंने धनबाद से लोकसभा सांसद के रूप में भी सेवा दी थी। वे झारखंड सरकार में मंत्री रह चुके थे और भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में देशभर के श्रमिकों की आवाज बने। उन्होंने जीवन भर मजदूरों, श्रमिकों और वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

 

⇒ राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में शोक की लहर

ददई दुबे के निधन की खबर से झारखंड के राजनीतिक और सामाजिक हलकों में शोक की लहर फैल गई। मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, विपक्षी दलों के नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और ट्रेड यूनियन नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके योगदान को ऐतिहासिक बताया। कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि “ददई बाबू का जाना हमारे लिए व्यक्तिगत और राजनीतिक दोनों ही रूप से बड़ी क्षति है।”

 

⇒ जनता के नेता, मजदूरों की आवाज

ददई दुबे की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र से छह बार चुनाव जीतकर लोगों की सेवा की। वे हमेशा श्रमिकों और गरीबों के मुद्दों को विधानसभा और संसद में मजबूती से उठाते रहे। उनका राजनीतिक जीवन संघर्ष, ईमानदारी और जनता से जुड़ाव का प्रतीक रहा।

 

⇒ राजनीति और मजदूर आंदोलन को अपूरणीय क्षति

उनके निधन पर कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों के नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने गहरा दुख व्यक्त किया है। ददई दुबे का जाना झारखंड की राजनीति, खासकर मजदूर आंदोलन के लिए अपूरणीय क्षति माना जा रहा है। उनके विचार, संघर्ष और समर्पण हमेशा प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे।

 

पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, उनका पार्थिव शरीर शुक्रवार को रांची लाया जाएगा, जहां पार्टी कार्यकर्ता और आम लोग उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि देंगे। इसके बाद उनका अंतिम संस्कार गढ़वा जिले में उनके पैतृक गांव में किया जाएगा।

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