बुलेटिन इंडिया।
सत्या पॉल ✒️
गोला/रांची। गोला प्रखंड के ग्राम धोरधोरा निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक करमा राम मांझी ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री व झारखंड आंदोलन के जननायक दिवंगत शिबू सोरेन (गुरुजी) के श्राद्ध कार्यक्रम में शोक संवेदना व्यक्त की और मुख्यमंत्री व उनके पूरे परिवार को ढांढ़स बंधाया।
करमा मांझी ने बातचीत के दौरान गुरुजी के साथ बिताए संघर्षपूर्ण दिनों को भावुक होकर याद किया। उन्होंने बताया कि साहूकारों के खिलाफ आंदोलन के समय गुरुजी अक्सर जंगलों के रास्ते धोरधोरा गांव आते-जाते थे। उस दौर में संपर्क साधन नहीं होने के कारण उनकी मां काला हंड़िया में मांड-भात और आलू का चौखा बनाकर गुरुजी को खिलाने के लिए जंगलों में खोजने निकल जाती थीं। शिक्षक पद पर नियुक्त होने से पहले वे स्वयं भी गुरुजी के आंदोलनों में सक्रिय रूप से शामिल रहते थे और महाजनी प्रथा के खिलाफ आवाज उठाते थे।
करमा मांझी का शिबू सोरेन से साला का रिश्ता भी था, क्योंकि उनकी शादी गोला प्रखंड के नेमरा गांव निवासी गुरुजी की चचेरी बहन के साथ हुई थी। उल्लेखनीय है कि करमा मांझी के बड़े बेटे तारकेश्वर मुर्मु भी शिक्षक के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि उनका पोता कृष्ण प्रसाद मुर्मु वर्तमान में शिक्षक हैं। इस तरह उनके परिवार की तीन पीढ़ियां शिक्षा सेवा में लगी हुई हैं।
नस की बीमारी के कारण पैरों से लाचार करमा मांझी अब व्हीलचेयर के सहारे चलते-फिरते हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उन्हें आश्वस्त किया कि श्राद्ध कार्यक्रम के बाद रांची बुलाकर उनकी संपूर्ण स्वास्थ्य जांच और समुचित इलाज कराया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि “आप धन्य हैं जो मेरे जन्मदिन पर बधाई देने के साथ पिताजी के श्राद्ध कार्यक्रम में भी शामिल हुए। आपका आशीर्वाद और मार्गदर्शन पाकर कार्य करने में बाबा की कमी महसूस नहीं होगी।”
इस अवसर पर करमा मांझी के साथ उनके भतीजे व सिपाही बीरेंद्र कुमार हांसदा, समाजसेवी ललन बेसरा, गुरुजी के आदर्शों पर चलने वाले राजेश कुमार रवि और राजन महतो मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने बाहर निकलकर दूर-दराज से आए आगंतुकों और गुरुजी के प्रशंसकों को हाथ जोड़कर प्रणाम व अभिवादन किया।