• तमिलनाडु सरकार से स्वतंत्र जांच और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग
Bulletin India.
रांची। पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) झारखंड राज्य इकाई के महासचिव शशि सागर वर्मा ने एक बयान जारी कर PUCL के राष्ट्रीय महासचिव एवं मद्रास उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. वी. सुरेश पर हुए शारीरिक हमले की तीव्र निंदा की है। यह हमला रविवार (2 नवंबर 2025) को तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में हुआ, जब डॉ. सुरेश “पीपुल्स कैंपेन फॉर जस्टिस” द्वारा आयोजित एक जन सुनवाई में निर्णायक मंडल के अध्यक्ष के रूप में विचार-विमर्श कर रहे थे। यह जन सुनवाई तिरुनेलवेली जिले में अवैध पत्थर उत्खनन से जुड़े सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर केंद्रित थी।
बयान के अनुसार, करीब 25 लोगों के समूह, जिनमें कथित तौर पर कुछ अधिवक्ता भी शामिल थे, ने सुनवाई स्थल पर हमला किया। उनका उद्देश्य जन सुनवाई को बाधित करना और उपस्थित लोगों को डराना-धमकाना था। हमले के दौरान डॉ. सुरेश पर एक कुर्सी फेंकी गई, जो उनकी गर्दन पर लगी और उन्हें चोट आई। बताया गया कि यह हमला उस जनहित याचिका से जुड़ा हुआ है, जिसमें डॉ. सुरेश ने न्यायमित्र के रूप में तिरुनेलवेली जिले में बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध समुद्र तट-रेत खनन घोटाले का पर्दाफाश किया था। इस मामले में खनन कार्यों पर पहले ही न्यायालय द्वारा प्रतिबंध लगाया जा चुका है।
पीयूसीएल की राष्ट्रीय इकाई ने अपने वक्तव्य में कहा है कि “खनन माफिया के कथित समर्थकों ने जन सुनवाई को हिंसक रूप से बाधित कर अभिव्यक्ति और सभा की संवैधानिक स्वतंत्रता पर हमला किया है।” संगठन ने यह भी कहा कि यह घटना पुलिस की मौजूदगी में हुई, लेकिन पुलिस ने समय पर हस्तक्षेप नहीं किया और भीड़ में से सिर्फ एक व्यक्ति को ही गिरफ्तार किया गया।
पीयूसीएल झारखंड ने तमिलनाडु सरकार से इस घटना की विश्वसनीय एवं स्वतंत्र जांच कराने, दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने और सभी जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी की मांग की है। साथ ही मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और प्रेस से जुड़े लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।
शशि सागर वर्मा ने कहा कि “यह हमला सिर्फ डॉ. वी. सुरेश पर नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति पर है जो मानवाधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून के शासन के लिए संघर्षरत है। खासकर जब यह हमला कथित अधिवक्ताओं के समूह द्वारा किया गया हो, तो यह और भी दुखद एवं निंदनीय बन जाता है।”
