बुलेटिन इंडिया।
अलका मिश्रा की रिपोर्ट।
जमशेदपुर/बोकारो। कोर्ट से घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना मामले में नोटिस मिलने के बाद एक महिला को बदनाम करने की नीयत से उसके पति द्वारा रची गई साजिश ने कानून व्यवस्था और पत्रकारिता की मर्यादाओं पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। यह पूरा मामला जमशेदपुर के सीतारामडेरा थाना क्षेत्र से जुड़ा है, जहाँ एक बीमार महिला प्रीतिका कौर को पुलिसकर्मियों ने रात में उसके किराए के घर से उठा कर थाना लाया, उसके मोबाइल को जब्त कर लिया गया और एक पुरुष मित्र के साथ उसे हिरासत में रखा गया।

दहेज, मारपीट और अवैध संबंधों से त्रस्त थी पीड़िता
पीड़िता प्रीतिका कौर ने अपने पति अमनदीप सिंह व ससुराल वालों पर दहेज प्रताड़ना, मारपीट और मानसिक उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। बताया गया कि अमनदीप ने खुद को टाटा स्टील का इंजीनियर बताकर शादी की थी, जबकि बाद में वह एसी मैकेनिक निकला और शराबी स्वभाव का व्यक्ति साबित हुआ। शादी के बाद उसने न केवल नौकरी छोड़ दी, बल्कि कार और घर बनवाने के नाम पर प्रीतिका के पिता से लाखों रुपये वसूल किए।

विरोध करने पर प्रीतिका के साथ नियमित मारपीट की जाने लगी। स्वास्थ्य खराब होने पर भी ससुराल वालों ने इलाज से इनकार कर दिया, जिसके बाद वह जमशेदपुर में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर इलाज कराने लगी। बाद में हिंसा और प्रताड़ना से तंग आकर वह बोकारो थर्मल स्थित मायके आ गई और कानूनी कार्रवाई की।
कोर्ट नोटिस के बाद पति की नई साजिश
मामले में कोर्ट का नोटिस मिलने के बाद, प्रीतिका का पति अमनदीप सिंह 24 मई की रात पुलिस और कुछ यूट्यूबरों को साथ लेकर अचानक प्रीतिका के किराए के आवास पर पहुँच गया। उस समय प्रीतिका की तबीयत खराब थी और उसका पारिवारिक मित्र सिमरनजीत सिंह दवा लेकर आया हुआ था। मौके पर ही यूट्यूबरों द्वारा वीडियो शूट कर उसे ‘अनैतिक संबंध’ का रंग देने की कोशिश की गई। इसके बाद पुलिस ने दोनों को हिरासत में ले लिया।
महिला अधिकारों की अवहेलना
रात में महिला की गिरफ्तारी न करने के कानूनी प्रावधान के बावजूद, प्रीतिका को रात 11 बजे हिरासत में लिया गया और करीब 18 घंटे हाजत में रखा गया। इस दौरान उसका मोबाइल भी छीन लिया गया। संयोगवश, उसने पहले ही अपने वकील अंजनी नंदन को फोन कर दिया था, जिनके हस्तक्षेप और तत्कालीन एसएसपी कौशल किशोर की कार्रवाई से अगले दिन शाम 5:30 बजे उसे रिहा किया गया।
सोशल मीडिया पर हुआ चरित्रहनन
इस दौरान यूट्यूबरों द्वारा बनाए गए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिए गए, जिससे प्रीतिका को सामाजिक स्तर पर भी अपमान का सामना करना पड़ा। जब प्रीतिका को लेने उसके मायके वाले थाने पहुँचे, तो ससुराल पक्ष द्वारा लाए गए कथित गुंडों ने थाने के गेट को घेर लिया और उसके भाई पर हमला किया, जिससे उसका हाथ टूट गया।
पत्रकारिता और कानून पर गंभीर सवाल
इस घटना ने पुलिसकर्मियों, यूट्यूब पत्रकारिता और महिला सुरक्षा कानूनों की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अधिवक्ता अंजनी नंदन ने स्पष्ट रूप से इसे एक सुनियोजित साजिश बताया और आरोप लगाया कि सीतारामडेरा थाना के कुछ पुलिसकर्मी भी इसमें सहभागी रहे।
यह भी सवाल उठाया जा रहा है कि रात में किसी महिला को थाने बुलाना और बिना किसी ठोस आरोप के हिरासत में रखना किस कानून के तहत जायज है? साथ ही, झूठे आरोपों पर वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल करना क्या साइबर अपराध की श्रेणी में नहीं आता?
यह मामला न सिर्फ महिला अधिकारों और पुलिस व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाता है, बल्कि पत्रकारिता की जिम्मेदारी और मर्यादा की भी परीक्षा है। प्रीतिका कौर इस समय सदमे में है और न्याय की प्रतीक्षा कर रही है। अब देखना है कि प्रशासन इस मामले में दोषियों पर क्या कार्रवाई करता है और पीड़िता को कब तक न्याय मिल पाता है।