लोकतंत्र बचाओ अभियान ने झारखंड चुनावों के लिए जारी किया जन घोषणा पत्र

BULLETIN INDIA DESK ::

लोकतंत्र बचाओ अभियान ने झारखंड चुनावों के लिए जारी किया जन घोषणा पत्र, अबुआ राज के सपने को साकार करने का संकल्प

Bulletin India. Ranchi.

आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र “लोकतंत्र बचाओ अभियान” (अबुआ झारखंड, अबुआ राज) ने आज रांची प्रेस क्लब में एक प्रेस वार्ता आयोजित कर अपना जन घोषणा पत्र जारी किया। अभियान ने सभी धर्मनिरपेक्ष और संवैधानिक मूल्यों में विश्वास रखने वाले दलों से अपील की कि वे इस घोषणा पत्र में उठाए गए मुद्दों को अपने एजेंडे में शामिल करें। साथ ही, उन्होंने मजबूत ज़मीनी गठबंधन बनाकर एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम जारी करने की भी मांग की। अभियान के प्रतिनिधियों ने प्रेस वार्ता के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस के नेताओं से मिलकर उन्हें यह मांग पत्र सौंपा।

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हेमंत सोरेन सरकार का आकलन

प्रेस वार्ता के दौरान अभियान के नेताओं ने हेमंत सोरेन सरकार के पिछले पांच साल के कार्यकाल का आकलन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि सरकार ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन में बढ़ोतरी, कोविड लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की मदद, कृषि ऋण माफी, पत्थलगड़ी और CNT-SPT संबंधित मामलों की वापसी और नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज परियोजना पर रोक जैसे कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। इसके अलावा, 1932 खतियान आधारित डोमिसाइल नीति, पिछड़ों के लिए 27% आरक्षण और सरना धर्म कोड की अनुशंसा विधानसभा से पारित की गई।

हालांकि, कई प्रमुख वादे अभी भी अधूरे हैं, जिनमें भूमि बैंक और भूमि अधिग्रहण कानून का रद्द न होना, ईचा-खरकई परियोजना का न रुकना, पेसा नियमावली का न बनना और मॉब लिंचिंग कानून का न बनना शामिल हैं। अभियान ने यह भी बताया कि विभिन्न सरकारी योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार और केंद्र सरकार द्वारा सरकार को गिराने के प्रयासों ने भी झारखंड के विकास को बाधित किया।

जन घोषणा पत्र की प्रमुख मांगें

लोकतंत्र बचाओ अभियान ने झारखंड आंदोलन के सपनों को साकार करने के लिए अपने जन घोषणा पत्र में कई प्रमुख मांगों को शामिल किया है:-

1. जल-जंगल-ज़मीन और आदिवासी स्वायत्तता : भूमि अधिग्रहण कानून संशोधन (2017) और लैंड बैंक नीति को रद्द किया जाए। बिना ग्राम सभा की सहमति के चल रही परियोजनाओं को बंद किया जाए और विस्थापन व पुनर्वास आयोग का गठन हो।

2. खनन और वन अधिकार : राज्य सरकार खनन पर कर लगाए और उसका आधा हिस्सा ग्राम सभाओं को दिया जाए। पेसा नियमावली का गठन हो और आदिवासी क्षेत्रों में छठी अनुसूची लागू की जाए।

3. विचाराधीन कैदियों की रिहाई : फर्जी मामलों में फंसे आदिवासियों, दलितों और मुसलमानों की तत्काल रिहाई हो और न्यायिक जांच आयोग का गठन किया जाए।

4. स्थानीय नीति और रोजगार : खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू हो और स्थानीय लोगों की सरकारी एवं निजी नौकरियों में भागीदारी सुनिश्चित की जाए।

5. सांप्रदायिक सौहार्द : धार्मिक प्रतीकों और झंडों को सार्वजनिक स्थलों से समय पर हटाने के लिए कड़े नियम बनाए जाएं। राज्य में सांप्रदायिक एकता और सौहार्द्य बनाए रखने के लिए कदम उठाए जाएं।

6. शिक्षा और स्वास्थ्य सुधार : स्कूलों और अस्पतालों की रिक्तियों को भरा जाए और गुणवत्तापूर्ण सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। आंगनवाड़ी और मध्याह्न भोजन में अंडे देने की योजना को लागू किया जाए।

7. रोजगार और सामाजिक सुरक्षा : शहरी रोजगार गारंटी कानून बनाया जाए और मनरेगा की मजदूरी दर 800 रुपये प्रति दिन की जाए। सामाजिक सुरक्षा पेंशन को 3000 रुपये प्रति माह और मातृत्व लाभ को 20,000 रुपये किया जाए।

8. भ्रष्टाचार पर अंकुश : ठेकेदारी व्यवस्था पर रोक लगे और विकेन्द्रीकृत शिकायत निवारण प्रणाली की स्थापना हो। सभी आयोगों में नियुक्तियां कर उन्हें सक्रिय किया जाए।

प्रेस वार्ता को अभियान के प्रमुख नेताओं अंबिका यादव, अजय एक्का, अलोका कुजूर, बासिंह हेस्सा, दिनेश मुर्मू, एलिना होरो, नंद किशोर गंझू, रिया पिंगुआ और टॉम कावला ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि झारखंड आंदोलन के मूल उद्देश्यों को फिर से केंद्र में लाया जाए और राज्य के लोगों के अधिकारों और संसाधनों की रक्षा की जाए।

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