बुलेटिन इंडिया, संवाददाता।
बोकारो। वामपंथी दलों ने बुधवार को सेक्टर 12 स्थित एक हॉल में केन्द्रीय बजट के खिलाफ विरोध सभा का आयोजन किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता राजेन्द्र प्रसाद यादव ने की।
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वक्ताओं ने बजट की आलोचना करते हुए कहा कि वित्तमंत्री द्वारा संसद में प्रस्तुत किया गया बजट पिछले वर्षों की नीतियों की ही पुनरावृत्ति है। उन्होंने कहा कि भारत को विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बताया जा रहा है और वर्ष 2027 तक इसे 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की बात कही जा रही है, लेकिन जमीनी सच्चाई इससे अलग है।
बेरोजगारी और महंगाई पर चिंता
वक्ताओं ने बढ़ती बेरोजगारी, खाद्यान्न और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि, निजी निवेश में कमी, उपभोग खर्च में गतिरोध और छोटे खुदरा कर्जों की बढ़ती अदायगी विफलता को सरकार की आर्थिक नीतियों का दुष्परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट भी सरकार की गलत नीतियों का नतीजा है।
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बजट में प्रमुख समस्याओं की अनदेखी
वक्ताओं ने कहा कि वित्तमंत्री ने बजट भाषण में देश में जारी आर्थिक मंदी और मांग की कमी जैसी गंभीर समस्याओं का कोई समाधान नहीं दिया। उन्होंने बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई लाने के प्रस्ताव की आलोचना करते हुए इसे सरकारी बीमा कंपनियों को विदेशी बीमा कंपनियों और कॉर्पोरेट घरानों के हाथों सौंपने की साजिश बताया।
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रुपए की गिरावट पर सरकार मौन
रुपए की घटती कीमत पर भी सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए गए। वक्ताओं ने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपया 86 रुपये तक पहुंच चुका है, जिससे मौजूदा आर्थिक समस्याएं और गंभीर हो जाएंगी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस संकट से निपटने में पूरी तरह असमर्थ है और आम लोगों पर लगातार आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है।
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वामपंथी नेताओं का विरोध
कन्वेंशन में सीपीएम के जिला सचिव भागीरथ शर्मा, सीपीआई (एमएल) के जिला सचिव देवदीप सिंह दिवाकर, सीपीआई के अंचल सचिव स्वयंवर पासवान, श्याम बिहारी सिंह दिनकर, विश्वनाथ बनर्जी, एस.एन. प्रसाद, कुमार सत्येंद्र, रविंद्र सिंह, लोकनाथ सिंह, नरेन्द्र मिश्रा, राम सागर दास, नेतलाल प्रसाद और चंद्रमा प्रसाद सहित कई नेताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।
वामपंथी दलों ने केंद्र सरकार से बजट में आम लोगों की समस्याओं को प्राथमिकता देने और आर्थिक सुधारों की दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग की।