बुलेटिन इंडिया, डेस्क।
अलका मिश्रा की खबर।
महाराष्ट्र की वाम राजनीति में एक अहम घटनाक्रम के तहत लाल निशान पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन में अपने विलय की औपचारिक घोषणा कर दी। यह घोषणा महाराष्ट्र के अहिल्यानगर ज़िले के श्रीरामपुर में आयोजित एक एकता सम्मेलन के दौरान की गई। इस अवसर पर दोनों पार्टियों के शीर्ष नेता, सैकड़ों कार्यकर्ता और समर्थक बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
सम्मेलन में मुख्य वक्ता के तौर पर भाकपा (माले) लिबरेशन के महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने इस विलय को देशभर में संविधान, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के लिए चल रहे संघर्ष को नई शक्ति देने वाला बताया। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र के मजदूरों, किसानों, दलितों, आदिवासियों और वंचित तबकों को एकजुट कर हम फासीवादी ताक़तों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई छेड़ेंगे। यह एकता बदलाव की दिशा में बड़ा क़दम है।”
भाकपा (माले) का निशाना मोदी सरकार पर
अपने संबोधन में दीपंकर भट्टाचार्य ने हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर और अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा घोषित युद्धविराम के संदर्भ में मोदी सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं ने सरकार की नीतिगत विफलताओं को उजागर कर दिया है। उन्होंने सरकार द्वारा संसद का विशेष सत्र बुलाने से इंकार करने को भी लोकतंत्र के खिलाफ बताया।
दीपंकर ने कहा, “सरकार सिंदूर पर राजनीति कर रही है, जबकि उसके मंत्री और ट्रोल आर्मी देश के वरिष्ठ अधिकारियों तक के साथ शर्मनाक हरकतें कर रहे हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार जातिगत जनगणना और समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दों को लेकर जनता की आंखों में धूल झोंक रही है।
लाल निशान पार्टी की विरासत और नई दिशा
लाल निशान पार्टी के महासचिव उदय भट्ट ने पार्टी के क्रांतिकारी इतिहास को याद करते हुए इस एकता को ऐतिहासिक करार दिया। उन्होंने कहा, “आजादी आंदोलन से लेकर आज तक लाल निशान पार्टी ने मजदूरों और किसानों के संघर्ष को दिशा दी है। इस विलय के बाद महाराष्ट्र में भाकपा (माले) एक बड़ी राजनीतिक ताकत बनकर उभरेगी।”
जन आंदोलनों को तेज़ करने का आह्वान
भाकपा (माले) के सांसद और किसान नेता राजा राम सिंह, ऐपवा महासचिव मीना तिवारी, विधान परिषद सदस्य शशि यादव, और आइसा की अध्यक्ष नेहा ने क्रमशः किसानों, महिलाओं, स्कीम वर्करों और छात्रों की समस्याओं पर बात करते हुए केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की। उन्होंने इन वर्गों के आंदोलनों को तेज करने का आह्वान किया।
कलाकारों की प्रस्तुति, जनता का उत्साह
सम्मेलन के दौरान स्थानीय कलाकारों और महिला कार्यकर्ताओं द्वारा जनगीत प्रस्तुत किए गए, जिससे कार्यक्रम में सांस्कृतिक रंग भर गया। इससे पहले एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में दोनों दलों के नेताओं ने मीडिया को संबोधित किया और विलय की पृष्ठभूमि और भविष्य की रणनीतियों पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का संचालन लाल निशान पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद संसारी और श्रीकृष्णा बराक ने किया, जबकि राजेंद्र भाऊके ने अतिथियों का स्वागत किया।
इस विलय को महाराष्ट्र की वाम राजनीति में एक नए युग की शुरुआत माना जा रहा है, जिससे राज्य के जन आंदोलनों को नई ऊर्जा और व्यापक दिशा मिल सकती है।