बुलेटिन इंडिया, संवाददाता।

रांची। आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने कहा है कि भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त करना चाहिए ना कि निलंबन मुक्त। उन्होंने कहा कि भ्रष्ट आईएएस अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त करना ही झारखंड को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का सही उपाय है।

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यह बयान उन्होंने आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को निलंबन समीक्षा समिति की अनुशंसा पर सरकार द्वारा निलंबन मुक्त किए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए दिया। नायक ने कहा कि यह निर्णय राज्य में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगा, जो झारखंड के लिए शुभ संकेत नहीं है।

मनरेगा घोटाला और अन्य आरोप  

वर्ष 2000 बैच की आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल पर गंभीर आरोप हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 12 मई 2022 को उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। उन पर मनरेगा फंड में 18 करोड़ रुपये की हेराफेरी के साथ-साथ चतरा और खूंटी में अपने पद का दुरुपयोग कर अवैध धन अर्जित करने के आरोप लगे। ईडी ने उनके कई ठिकानों पर छापेमारी की थी, जहां से करोड़ों रुपये नकद बरामद किए गए थे।

जमानत को लेकर विवाद  

नायक ने कहा कि पूजा सिंघल ने बीएनएसएस (भारत नागरिक सुरक्षा संहिता) की धारा 479 के तहत जमानत मांगी थी, जिसके तहत पहले अपराध और अधिकतम सजा का एक तिहाई जेल में बिताने के बाद जमानत का प्रावधान है। हालांकि, नायक ने यह स्पष्ट किया कि यह उनका पहला अपराध नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने इसे “असाधारण मामला” करार दिया था। इसके बावजूद पीएमएलए कोर्ट ने उन्हें जमानत दी, जो विवादास्पद है।

सरकार से मांग  

विजय शंकर नायक ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग से आग्रह किया कि जब तक पूजा सिंघल मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य आरोपों से बरी नहीं हो जातीं, उन्हें राज्य के किसी भी महत्वपूर्ण विभाग का कार्यभार न सौंपा जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि उन्हें केवल अकार्य पद पर रखा जाए ताकि वे दोबारा भ्रष्टाचार में लिप्त न हो सकें।

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