• ‘हद पार न करें’ बोलने वाले अधिवक्ता पर अवमानना नोटिस

Bulletin India.

रांची। झारखंड हाईकोर्ट में बीते दिनों हुई एक अदालती बहस अब न्यायपालिका और अधिवक्ता समाज के बीच चर्चा का विषय बन गई है। दरअसल, कोर्ट की कार्यवाही के दौरान अधिवक्ता महेश तिवारी और न्यायमूर्ति राजेश कुमार के बीच तीखी नोकझोंक हो गई। इस बहस के दौरान अधिवक्ता ने न्यायमूर्ति की ओर उंगली उठाते हुए कहा — “Don’t cross the limit” (हद पार न करें)। यही नहीं, उन्होंने यह भी कहा — “देश न्यायपालिका से जल रहा है” (The country is burning with the judiciary)।

इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हुआ, जिसमें दोनों के बीच हुई तीखी बहस साफ़ दिखाई दे रही है। अब इसी घटना को लेकर झारखंड हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ (Full Bench) ने शुक्रवार को अधिवक्ता महेश तिवारी के खिलाफ आपराधिक अवमानना (Criminal Contempt) का नोटिस जारी किया है।


🔹 पूर्ण पीठ ने की कार्रवाई

मुख्य न्यायाधीश तारलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता में गठित पाँच सदस्यीय पूर्ण पीठ — जिसमें न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद, रोंगन मुखोपाध्याय, आनंदा सेन और राजेश शंकर शामिल थे — ने अदालत संख्या 1 में इस मामले की सुनवाई की।

पूर्ण पीठ ने अधिवक्ता तिवारी से न्यायमूर्ति राजेश कुमार की अदालत में हुए व्यवहार को लेकर स्पष्टीकरण मांगा। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने ऐसा आचरण क्यों किया, तो अधिवक्ता तिवारी ने जवाब दिया कि उन्होंने जो कुछ भी कहा, “पूरी तरह होश में रहकर कहा था।”

इस पर कोर्ट ने उन्हें आपराधिक अवमानना का नोटिस जारी किया और तीन सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर 2025 को निर्धारित की गई है।


🔹 अधिवक्ता बोले — “वकीलों का अपमान न करें”

बहस के दौरान अधिवक्ता तिवारी ने बार-बार कहा कि उन्हें बार-बार “अपमानित न किया जाए” और किसी भी वकील को “नीचा न दिखाया जाए”। उन्होंने यह भी कहा कि वे 40 वर्षों से वकालत के पेशे में हैं और उन्होंने हमेशा न्यायालय की गरिमा का सम्मान किया है।


🔹 भरी हुई थी अदालत, वीडियो भी दिखाया गया

जब पूर्ण पीठ ने इस मामले की सुनवाई शुरू की, तब अदालत अधिवक्ताओं से खचाखच भरी हुई थी। सभी इस कार्यवाही को देखने पहुंचे थे। कार्यवाही शुरू होने से पहले, 16 अक्टूबर की कोर्ट संख्या 24 की लाइव स्ट्रीमिंग की वीडियो रिकॉर्डिंग मुख्य न्यायाधीश के सामने चलाई गई। इस वीडियो में अधिवक्ता और जज के बीच हुई गरमागरम बहस स्पष्ट दिखाई दी।


🔹 क्या होगा अगला कदम

अब अधिवक्ता महेश तिवारी को तीन सप्ताह के भीतर अपना लिखित जवाब दाखिल करना होगा। इसके बाद अदालत यह तय करेगी कि उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना के आरोप पर क्या आगे की कार्रवाई की जाए।

 

झारखंड हाईकोर्ट में अधिवक्ता और न्यायाधीश के बीच हुई तीखी बहस ने अदालत की गरिमा और अनुशासन पर एक नई बहस छेड़ दी है। जहां अदालत इसे न्यायपालिका की मर्यादा से जुड़ा मुद्दा मान रही है, वहीं अधिवक्ता वर्ग इसे सम्मान और अभिव्यक्ति के अधिकार से जोड़कर देख रहा है। आने वाली 11 नवंबर की सुनवाई पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

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