बुलेटिन इंडिया, संवाददाता।
रांची। महाकुंभ में मौनी अमावस्या स्नान के दौरान मची भगदड़ में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की मौत हो गई। इस हृदयविदारक घटना को लेकर आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने उत्तर प्रदेश सरकार को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से नैतिक आधार पर इस्तीफा देने की मांग की है।
नायक ने इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा की अनदेखी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण इतनी बड़ी त्रासदी घटी। उन्होंने मृतकों के परिवारों को ₹50 लाख तथा घायलों को ₹10 लाख मुआवजा देने की मांग की। साथ ही, भगदड़ में लापता हुए लोगों की खोजबीन कर उन्हें उनके परिजनों से मिलाने के लिए सरकार से ठोस रणनीति बनाने की अपील की।
केंद्र सरकार से महाकुंभ की व्यवस्था सेना को सौंपने की मांग
विजय शंकर नायक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से महाकुंभ की संपूर्ण व्यवस्था सेना के हवाले करने की मांग की। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार कुंभ व्यवस्था को दुरुस्त करने के बजाय सिर्फ प्रचार में लगी रही, जिससे आम श्रद्धालुओं को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा की अनदेखी कर अपने फोटो और वीडियो सेशन को प्राथमिकता दी।
“महाकुंभ का बजट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा”
नायक ने कहा कि महाकुंभ के लिए भारी बजट का दावा करने वाली भाजपा सरकार ने इसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि श्रद्धालुओं की सुविधा के बजाय बजट का इस्तेमाल सिर्फ प्रचार और राजनीतिक फायदे के लिए किया गया। उन्होंने प्रशासन की विफलता पर नाराजगी जताते हुए कहा कि साधु-संत भी इस अव्यवस्था से आक्रोशित हैं।
Advertisement“वीआईपी कल्चर बंद कर आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे सरकार”
विजय शंकर नायक ने कहा कि अगर सरकार ने समय रहते प्रभावी कदम उठाए होते तो इस त्रासदी को टाला जा सकता था। उन्होंने मांग की कि सरकार तत्काल वीआईपी कल्चर को समाप्त कर आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे। साथ ही, महाकुंभ के बजट में भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
सरकार की भूमिका पर उठे सवाल
महाकुंभ में इस भयावह भगदड़ के बाद उत्तर प्रदेश सरकार की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही और अव्यवस्थित प्रबंधन के कारण यह हादसा हुआ। विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने भी इस घटना की उच्चस्तरीय जांच और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।