Bulletin India, Correspondent.
बोकारो। झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार रांची एवं अनिल कुमार मिश्रा, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश-सह-अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकर, बोकारो के निर्देशानुसार, जिले में मध्यस्थता (Mediation) के महत्व और लाभों को जन-जन तक पहुँचाने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार अभियान चलाया गया।

इस अभियान के अंतर्गत—
– न्यायालय परिसर, सार्वजनिक स्थलों एवं प्रमुख संस्थानों में रंगीन बैनर, पोस्टर लगाए गए और पंपलेट बांटे गए।
– पंपलेट में मध्यस्थता की परिभाषा, उद्देश्य, लाभ और प्रक्रिया को सरल भाषा में समझाया गया।
– नागरिकों को बताया गया कि मध्यस्थता एक स्वैच्छिक, गोपनीय और पक्ष-केन्द्रित प्रक्रिया है, जिसमें पक्षकार स्वयं अपने विवाद का समाधान तय करते हैं।
– यह प्रक्रिया समय और लागत की बचत करती है, आपसी संबंधों में सुधार लाती है और मुकदमेबाजी के तनाव से बचाती है।
– मध्यस्थता के चरणबद्ध तरीके (प्रारंभिक बैठक, अलग-अलग वार्ता, प्रस्तावों का आदान-प्रदान, और लिखित समझौता) को स्पष्ट किया गया।
– यह भी बताया गया कि मध्यस्थता में हुआ समझौता कानूनन बाध्यकारी और लागू करने योग्य होता है।
– वाणिज्यिक विवाद, उपभोक्ता विवाद, वैवाहिक या पारिवारिक विवाद,रोजगार, संपत्ति, किरायेदारी, चेक वापसी जैसे अनेक विवादों के समाधान में मध्यस्थता की उपयोगिता पर जोर दिया गया।
– नागरिकों को न्यायालय से संबद्ध मध्यस्थता केंद्र और जिला विधिक सेवा प्राधिकार कार्यालय ( दूरभाष: 06542-221003 ) से संपर्क करने की जानकारी दी गई।

अनिल कुमार मिश्रा ने कहा कि “मध्यस्थता न्याय को अधिक सुलभ, त्वरित और मानवीय बनाती है। यह न केवल अदालतों का बोझ कम करती है, बल्कि समाज में सौहार्द और आपसी विश्वास को भी मजबूत करती है।”
इस पहल के माध्यम से जिला विधिक सेवा प्राधिकार, बोकारो ने यह संदेश दिया कि न्याय केवल अदालतों में ही नहीं, बल्कि संवाद और सहमति के माध्यम से भी प्राप्त किया जा सकता है।
उक्त आशय की जानकारी सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार बोकारो अनुज कुमार द्वारा दी गई।
