बुलेटिन इंडिया, संवाददाता।
बोकारो। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 के खिलाफ सोमवार को बोकारो कोर्ट परिसर में अधिवक्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया। अधिवक्ताओं ने एक स्वर में इस विधेयक का विरोध करते हुए इसे वकीलों की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया और विधेयक को तत्काल वापस लेने की मांग की।
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विधेयक में वकीलों की हड़ताल और अनुशासनात्मक कार्रवाई के कड़े प्रावधान
इंडियन एसोसिएशन ऑफ लॉयर्स के नेशनल काउंसिल मेंबर अधिवक्ता रणजीत गिरि ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि “जब सरकार अधिवक्ताओं पर हो रहे हमलों को रोकने में विफल रही, तो अब वकीलों पर ही प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है।”
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उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विधेयक में वकीलों द्वारा न्यायालयों के बहिष्कार और हड़ताल पर रोक लगाने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) की स्वायत्तता पर भी खतरा मंडरा रहा है क्योंकि अब इसमें केंद्र सरकार द्वारा नामित सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है।
रणजीत गिरि ने विधेयक के अन्य बिंदुओं पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसमें विदेशी कानूनी फर्मों के प्रवेश की अनुमति, वकीलों पर मुवक्किलों को मुआवजा देने की बाध्यता, अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत तीन लाख तक का जुर्माना और झूठी शिकायतों के मामलों में वकीलों को कोई सुरक्षा न देने जैसे प्रावधान शामिल हैं। इसके अलावा, वकीलों को तत्काल निलंबित करने की व्यवस्था भी की गई है, जो न्याय व्यवस्था में उनकी भूमिका को कमजोर करने की कोशिश है।
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“यह विधेयक अनुच्छेद 19 और 21 का उल्लंघन है”
अधिवक्ताओं ने इस विधेयक को संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 पर सीधा हमला बताया। गिरि ने कहा कि यह वकीलों की स्वतंत्रता छीनने और उन्हें सरकारी नियंत्रण में लाने की साजिश है। उन्होंने कहा कि वकील हमेशा सरकार की गलत नीतियों, कानूनों और अन्याय के खिलाफ खड़े रहते हैं, इसलिए सरकार उनकी स्वतंत्र आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है।
वकीलों ने की एकजुट होकर विरोध करने की अपील
सभा में मौजूद अधिवक्ताओं ने एकजुट होकर विधेयक का विरोध करने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक यदि लागू हुआ, तो न्याय प्रणाली पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा और वकील स्वतंत्र रूप से अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर पाएंगे।
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इस विरोध प्रदर्शन में अतुल कुमार, सुनील कुमार, दीपक कुमार, मोहन लाल ओझा, उमाकांत पाठक, राजेश कुमार, श्याम मिश्रा, सुरेंद्र साह, जितेंद्र कुमार महतो, दीप्ति कुमारी, राणा प्रताप शर्मा, विजय कुमार, अमरेश कुमार, ओम प्रकाश लाल सहित सैकड़ों अधिवक्ता मौजूद रहे।
वकीलों ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि यह विधेयक वापस नहीं लिया गया, तो देशव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा।