अगस्त महीने को आंदोलन का महीना बनाने का किया आह्वान

बुलेटिन इंडिया।

विशद कुमार की रिपोर्ट 

पटना। ‘वोट चोर, गद्दी छोड़’ के नारे के साथ आज पटना में भाकपा-माले ने बुद्ध स्मृति पार्क से सतमूर्ति तक विरोध मार्च का आयोजन किया, जिसका नेतृत्व माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने किया। सतमूर्ति गोलबंर पर 11 अगस्त 1942 को तिरंगा फहराने के क्रम में शहीद हुए सभी सात छात्रों को श्रद्धांजलि देने के बाद आयोजित सभा को संबोधित करते हुए माले महासचिव ने कहा कि देश में आज़ादी के बाद संविधान, लोकतंत्र और मताधिकार पर सबसे बड़ा हमला हुआ है। हमें जो संविधान मिला था, उसमें हर नागरिक को बराबरी का दर्जा और वोट देने का अधिकार दिया गया था – चाहे वह अमीर हो या ग़रीब, दलित हो या अल्पसंख्यक, महिला हो या मज़दूर। लेकिन आज वो अधिकार छीनने की तैयारी हो रही है।

बिहार में SIR के नाम पर सिर्फ एक महीने में 66 लाख लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जब चुनाव आयोग से पूछा कि इन नामों को हटाने का आधार क्या है, और पूरी सूची माँगी – तो चुनाव आयोग ने देने से इनकार कर दिया।

इस लिस्ट से बाहर किए गए ज़्यादातर लोग वही हैं जो पहले से समाज के हाशिए पर हैं – दलित, मुस्लिम, महिलाएं, प्रवासी मज़दूर, और ग़रीब लोग। कई लोग अभी ज़िंदा हैं लेकिन उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। बिहार के 36 लाख मज़दूर, जो बाहर रोज़ी-रोटी कमाने गए थे, उन्हें बाहरी कहकर लिस्ट से बाहर कर दिया गया। 7 लाख लोगों को डुप्लीकेट कहकर हटाया गया, लेकिन सत्ता के खास नेताओं पर ये नियम नहीं लागू हुआ – बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा का नाम तो बना रहा।

वाल्मीकिनगर में SIR के बावजूद यूपी के 5 हज़ार नाम अब भी लिस्ट में हैं – इससे साफ है कि यह प्रक्रिया पक्षपात और झूठ पर टिकी है।

अब बाकी लोगों से दस्तावेज़ मांगे जा रहे हैं। जिनके पास नहीं हैं, वो बाहर कर दिए जाएंगे। अगस्त खत्म होते-होते और कितने लाख लोग लिस्ट से बाहर हो जाएंगे, इसका कोई हिसाब नहीं।

राहुल गांधी ने बताया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक में एक विधानसभा सीट पर एक लाख फर्जी वोट पाए गए। जिसके कारण कांग्रेस 32 हज़ार वोटों से चुनाव हार गई – सोचिए फर्जीवाड़ा कहाँ तक पहुंच चुका है।

आज 11 अगस्त को हम सिर्फ़ अपने शहीदों को याद नहीं करेंगे, बल्कि संकल्प लेंगे। आज़ादी के लिए जिन शहीदों ने गोली खाई, जेल गए, वो तिरंगे को झुकने नहीं देना चाहते थे। आज वही तिरंगा, वही संविधान और हमारा वोट खतरे में है।

2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को आम चुनाव मत समझिए – ये संविधान बचाने की लड़ाई है। जिनके नाम भी वोटर लिस्ट में बच जाएंगे वो वोट देकर इस सरकार को बाहर करे। एक-एक वोट से हम चुनाव चोरों को हराएंगे।

माले महासचिव के अलावा पोलित ब्यूरो सदस्य का. धीरेन्द्र झा व का. अमर, ऐपवा महासचिव मीना तिवारी, एमएलसी शशि यादव, गोपाल रविदास, ऐक्टू के राष्ट्रीय नेता वी शंकर, वरिष्ठ पार्टी नेता केडी यादव, रसोइया संघ की नेता सरोज चौबे, फुलवारी विधायक गोपाल रविदास, केंद्रीय कमिटी सदस्य अभ्युदय व मीडिया प्रभारी कुमार परवेज सहित कई लोगों ने शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि दी।

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मार्च में इन नेताओं के अलावा का. शिवसागर शर्मा, पटना जिला के सचिव जितेन्द्र कुमार, ऐपवा की राज्य सचिव अनीता सिन्हा, एआइपीएफ के कमलेश शर्मा, राज्य कमिटी सदस्य कमलेश कुमार, जयप्रकाश पासवान, किसान महासभा के उमेश सिंह, रामबलि प्रसाद, मुर्तजा अली, अनुराधा देवी, आफशा जबीं, नसरीन बानो, संजय यादव, गुरूदेव दास, शंभूनाथ मेहता, विनय कुमार, पुनीत पाठक, अशर्फी सदा, अनिल अंशुमन, प्रमोद यादव, शहजादे आलम, कुमार दिव्यम, प्रेम कुमार सहित बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता उपस्थित थे। जबकि सभा का संचालन ऐक्टू के राज्य सचिव रणविजय कुमार ने की।

विदित हो कि “वोट चोर गद्दी छोड़” के नारे के साथ 9-11 अगस्त को पूरे देश में मार्च आयोजित किए गए। 15 अगस्त को आजादी बचाओ, संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ मार्च निकाला जाएगा।

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