धनबाद में कोयला तस्करी का खेल जारी: प्रशासन, CISF और BCCL की कार्रवाई के बावजूद तस्करों के हौसले बुलंद

सत्या पॉल की खबर ✒️

धनबाद। झारखंड के कोयला खदान क्षेत्रों में अवैध कोयला तस्करी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रशासन, सीआईएसएफ और बीसीसीएल की लगातार कार्रवाइयों के बावजूद कोयला तस्कर गणेश यादव और उसका बेटा बिट्टू यादव, साथ हीं कोयला माफिया मुकेश, इस धंधे में सक्रिय हैं। इन लोगों का नेटवर्क इतना मजबूत है कि कार्रवाई के बावजूद इनके काम पर कोई खास असर नहीं दिखता।

जंगल में भंडारित किया जा रहा कोयला  

एनएस लोदना के 12 नंबर जंगल और आसपास की बस्ती में बड़े पैमाने पर कोयले का भंडारण किया जा रहा है। यह कोयला ट्रकों में लोड करके बाजारों और अन्य स्थानों तक पहुंचाया जा रहा है। हाल ही में एक ट्रक का गुल्ला टूटने की सूचना पर सीआईएसएफ ने मौके पर कार्रवाई की। हालांकि, यह कार्रवाई तस्करी को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं साबित हो रही।

तस्करों का जाल और प्रशासन की चुप्पी  

लोकल मीडिया द्वारा बार-बार कोयला तस्करों और माफियाओं के नाम उजागर किए जाने के बावजूद बीसीसीएल और सीआईएसएफ द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। यह सवाल उठता है कि क्या इन संस्थाओं के कुछ अधिकारी तस्करों से मोटी कमाई कर रहे हैं, जिसकी वजह से वे कार्रवाई करने से बच रहे हैं।

तस्करी का तरीका और नेटवर्क  

कोयला तस्कर जंगलों में कोयला भंडारित करते हैं और फिर ट्रकों के जरिए इसे बाहर भेजा जाता है। एनएस लोदना के 12 नंबर जंगल में कोयला भंडारण और तस्करी का प्रमुख केंद्र बन चुका है। स्थानीय बस्तियों में भी कोयले का अवैध भंडारण किया जा रहा है। तस्करों का नेटवर्क इतना मजबूत है कि वे प्रशासन की हर कार्रवाई की जानकारी पहले ही हासिल कर लेते हैं और सबूत मिटाने में जुट जाते हैं।

स्थानीय लोगों का रोष  

स्थानीय लोगों का कहना है कि कोयला तस्करी और माफिया गतिविधियों के कारण क्षेत्र में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब हो रही है। इस धंधे से न केवल बीसीसीएल को बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि क्षेत्र के पर्यावरण और लोगों के जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

अवैध गतिविधियों पर कार्रवाई की मांग  

स्थानीय लोग और सामाजिक संगठनों ने बीसीसीएल और सीआईएसएफ से तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। लोगों का कहना है कि जब तक बड़े तस्करों पर एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी और उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, तब तक यह अवैध धंधा बंद नहीं होगा।

प्रशासन पर उठते सवाल 

प्रशासन और सुरक्षा बलों की चुप्पी पर सवाल उठना लाजमी है। यदि बीसीसीएल और सीआईएसएफ इस मामले में गंभीरता से कदम उठाते, तो कोयला तस्करी की समस्या पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता था। लेकिन फिलहाल ऐसा लगता है कि तस्करों और प्रशासन के बीच मिलीभगत है।

जरूरी कदम और सुझाव 

1. सख्त निगरानी: कोयला खदान क्षेत्रों में सीसीटीवी और ड्रोन के जरिए निगरानी बढ़ाई जाए।

2. स्थानीय पुलिस की भागीदारी: पुलिस और प्रशासन के संयुक्त ऑपरेशन के जरिए तस्करों को पकड़ने की योजना बनाई जाए।

3. एफआईआर और गिरफ्तारी: बड़े तस्करों पर तुरंत एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए।

4. जागरूकता अभियान: स्थानीय लोगों को कोयला तस्करी के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक किया जाए।

धनबाद का झरिया क्षेत्र कोयला खदानों के लिए जाना जाता है, लेकिन अवैध तस्करी की वजह से इसकी छवि धूमिल हो रही है। प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों को तस्करों के खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे, ताकि कोयला खदान क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था कायम हो सके और इस क्षेत्र की प्रगति में रुकावट न आए।

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