बुलेटिन इंडिया, संवाददाता।

बोकारो। बोकारो स्टील सिटी के विभिन्न सेक्टरों में स्थित कर्मचारियों के लिए बने कई क्वार्टरों की स्थिति जर्जर हो चुकी है। नगर सेवा भवन विभाग द्वारा सैकड़ों क्वार्टरों को Damage घोषित किया गया है, लेकिन इन क्वार्टरों को खाली कराने की जगह इन पर अवैध कब्जे और किराएदारी का खेल बदस्तूर जारी है। यह पूरा खेल नगर सेवा भवन विभाग के अधिकारियों और दलालों की मिलीभगत से संचालित हो रहा है।

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Damage क्वार्टरों को बना दिया गया कमाई का जरिया

नगर सेवा भवन विभाग द्वारा Damage घोषित किए गए क्वार्टरों की सूची विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की मदद से दलालों के हाथ लग जाती है। इसके बाद ये दलाल इन जर्जर क्वार्टरों को अवैध रूप से किराए पर लगा देते हैं। जब भी विभागीय कार्रवाई की बात आती है, तो संबंधित क्वार्टरों को पहले से ही Damage कर दिए जाने का हवाला देकर मामला रफा-दफा कर दिया जाता है।

हर महीने लाखों की अवैध कमाई

सूत्रों के अनुसार, इस अवैध किराएदारी से हर महीने लाखों रुपये की उगाही की जाती है, जिसका एक बड़ा हिस्सा नगर सेवा भवन विभाग के अधिकारियों तक पहुंचता है। दलालों द्वारा वसूले गए किराए की रकम का बंटवारा अधिकारियों के बीच कर दिया जाता है, जिससे यह अवैध कारोबार निर्बाध रूप से चलता रहता है।

क्वार्टरों पर पुलिस कर्मियों का भी कब्जा

इस अवैध कब्जे के खेल में पुलिसकर्मी भी पीछे नहीं हैं। बोकारो स्टील सिटी के कई सेक्टरों में ऐसे जर्जर क्वार्टरों पर पुलिस विभाग की पहचान (लाल-ब्लू बोर्ड) लगी देखी जा सकती है। कई क्वार्टरों में तो सब-इंस्पेक्टर तक का बोर्ड लगा हुआ है। इससे साफ जाहिर होता है कि पुलिसकर्मी भी इस अवैध कब्जे और किराएदारी के खेल में शामिल हैं।

नगर प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में

बोकारो स्टील सिटी प्रशासन और नगर सेवा भवन विभाग की निष्क्रियता से यह अवैध कारोबार लगातार फल-फूल रहा है। डैमेज घोषित किए गए क्वार्टरों को या तो खाली कराया जाना चाहिए या फिर उनकी मरम्मत कराकर वैध रूप से कर्मचारियों को आवंटित किया जाना चाहिए। लेकिन, इसके विपरीत, इन क्वार्टरों को अवैध रूप से किराए पर लगाकर विभागीय अधिकारियों और दलालों की जेबें भरी जा रही हैं।

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स्थनीय लोगों ने की उच्चस्तरीय जांच की मांग 

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह केवल सरकारी संसाधनों की बर्बादी ही नहीं, बल्कि सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जे का गंभीर मामला है। लोगों ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने और दोषी अधिकारियों व दलालों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। सवाल यह भी उठता है कि जब इस अवैध कब्जे और किराएदारी के खेल में खाकी वर्दीधारी ही शामिल हैं, तो फिर आम जनता न्याय की उम्मीद किससे करे?

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या प्रशासन इस पर कोई ठोस कार्रवाई करता है या फिर यह अवैध धंधा यूं ही जारी रहेगा।

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