• सांसद तनुज पूनिया और पूर्व सांसद डॉ पी.एल. पुनिया सहित कई विद्वानों ने रखा विचार
बुलेटिन इंडिया।
वाराणसी। काशी के लंका क्षेत्र स्थित ‘क’ कला दीर्घा में गुरुवार को दोपहर 12 बजे से एक महत्वपूर्ण परिचर्चा आयोजित की गई। इस गोष्ठी का विषय था “अनुसूचित जाति एवं जनजाति की भारत में वर्तमान स्थिति एवं काशी की श्रमण संस्कृति”। इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न कोनों से आए प्रबुद्ध जनों, शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और बाराबंकी से कांग्रेस सांसद मा. तनुज पूनिया ने अपने संबोधन में कहा कि देश में विगत आठ वर्षों से शिक्षा व्यवस्था की स्थिति लगातार गिरती जा रही है, विशेषकर उच्च शिक्षा में गिरावट अनुसूचित जाति के युवाओं की भागीदारी को कमजोर बना रही है। उन्होंने कृषि क्षेत्र की समस्याओं पर भी चिंता जताते हुए कहा कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश में किसानों को वैश्विक बाजार की प्रतिस्पर्धा से बाहर करने की साजिश की जा रही है। उन्होंने पिपरमेंट के उदाहरण का हवाला देते हुए बताया कि चीन निर्मित रासायनिक पिपरमेंट की बिक्री को बढ़ावा देकर भारतीय किसानों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व सांसद और अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ पी.एल. पुनिया ने कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर सामाजिक न्याय नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की बात करते थे। आज सत्ता में बैठे लोग सामाजिक परिवर्तन के स्तंभों को कमजोर करने में लगे हैं, जिससे अनुसूचित जाति के प्रति भेदभाव की मानसिकता उजागर होती है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता परमेन्द्र सिंह ने कहा कि काशी की भूमि संतों और विचारकों की रही है, जहां कबीर, रैदास और तुलसी जैसे महापुरुषों ने समानता का संदेश दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि आज इसी भूमि पर अनुसूचित जाति के अधिकारों को कुचलने के प्रयास हो रहे हैं, जिनका विरोध काशी का प्रबुद्ध समाज करेगा।
कांग्रेस नेता संजीव सिंह ने उत्तर प्रदेश में शिक्षा और सामाजिक नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि जहां एक ओर 28 हजार विद्यालय बंद हो रहे हैं, वहीं शराब की दुकानों में वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी अनुसूचित जाति के अधिकारों की बहाली के लिए निरंतर संघर्ष कर रहे हैं।
कार्यक्रम का स्वागत भाषण सामाजिक कार्यकर्ता डॉ लेनिन रघुवंशी ने दिया। उन्होंने कहा कि काशी की धरती विचार, संघर्ष और समानता की रही है। जब-जब दलित समाज के हितों पर आघात हुआ है, तब-तब यह धरती परिवर्तन के लिए खड़ी हुई है।
अन्य वक्ताओं में बीएचयू के प्रो. सदानंद शाही, डॉ. दिनबंधु तिवारी, राजेश चौधरी और काशी विद्यापीठ के उपाध्यक्ष राहुल राज ने भी अपने विचार रखे।
परिचर्चा का संचालन डॉ शम्मी कुमार सिंह ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन सावित्री बाई फुले महिला पंचायत की संयोजक श्रुति नागवंशी ने किया।
इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष आदित्य राज सिंह, रोहित राणा, लालू कन्नौजिया, गौरव राव, शैलेन्द्र सिंह, पन्ना लाल, सुरोजित चटर्जी सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ता और छात्र-युवा उपस्थित रहे।