8 फरवरी से 20 फरवरी तक जन-अभियान, 21 फरवरी को होगा धरना प्रदर्शन
रांची। झारखंड में पेसा कानून और प्रस्तावित राज्य नियमावली को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) द्वारा एक विचार गोष्ठी आयोजित की गई। यह कार्यक्रम महेंद्र सिंह भवन, रांची में संपन्न हुआ, जिसमें राज्य भर से लगभग 70 आदिवासी प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
विचार गोष्ठी में श्रद्धांजलि से हुई शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत भाकपा-माले के दिवंगत नेता विनोद लहरी और श्रीलता स्वामीनाथन की आठवीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुई। उनके चित्रों पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित कर एक मिनट का मौन रखा गया।
नेताओं ने पेसा नियमावली की त्रुटियों पर रखे विचार
गोष्ठी की अध्यक्षता नीता बेदिया, अलमा खलखो, कमलेश सिंह चेरो, आर.डी. मांझी, संतोष मुंडा, बुंदा बास्के और धनेश्वर सिंह खरवार ने की, जबकि संचालन गौतम मुंडा ने किया।
कार्यक्रम में पार्टी के राज्य सचिव कॉमरेड मनोज भक्त, जिला सचिव जगमोहन महतो, मोहन दत्ता, गौतम मुंडा, देवकी नंदन बेदिया, जगरनाथ उरांव, सुशीला तिग्गा, सुकदेव मुंडा, सुदामा खलखो, अंजला तिग्गा, नागेश्वर मुंडा, मनाराम मांझी, रामचंद्र उरांव, कृष्ण सिंह चेरो, महावीर मुंडा, दर्शन गंझू, मानवाधिकार कार्यकर्ता सिराज दत्ता, आइती तिर्की, शांति सेन समेत कई अन्य नेताओं ने भाग लिया।
वक्ताओं ने प्रस्तावित झारखंड पेसा नियमावली की त्रुटियों पर विस्तार से चर्चा की और 1996 के केंद्रीय पेसा कानून के अनुसार नियमावली को सख्ती से लागू करने की मांग उठाई।
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8 फरवरी से 20 फरवरी तक जन-अभियान, 21 फरवरी को प्रदर्शन
गोष्ठी में निर्णय लिया गया कि 8 फरवरी से 20 फरवरी तक पूरे झारखंड में जन-अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान ग्राम सभाओं के माध्यम से हस्ताक्षर अभियान भी संचालित किया जाएगा। इसके बाद, 21 फरवरी को सभी जिलों, अनुमंडलों और प्रखंड मुख्यालयों में धरना-प्रदर्शन आयोजित कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा।
जन-अधिकारों की रक्षा के लिए आंदोलन तेज करने का संकल्प
कार्यक्रम के समापन पर पार्टी नेताओं ने पेसा कानून को प्रभावी रूप से लागू कराने के लिए संघर्ष तेज करने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि झारखंड में आदिवासी समाज के अधिकारों की रक्षा के लिए यह अभियान महत्वपूर्ण होगा।