बोकारो : प्रेमचन्द जयंती पर जन संस्कृति मंच ने किया याद

BULLETIN INDIA DESK ::

“प्रेमचन्द जयंती पर जन संस्कृति मंच ने किया याद, वक्ताओं ने कहा कि वे आज भी प्रासंगिक हैं।”

संवाददाता, बोकारो।

जन संस्कृति मंच की ओर से मुंशी प्रेमचंद की जयंती स्थानीय रेडक्रास सोसाइटी के सभागार में मनाई गई। उपस्थित लोगों ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी व उनके मार्गदर्शन पर चलने का संकल्प लिया। समारोह की अध्यक्षता ओम राज व संचालन हरेंद्र मिश्रा ने किया।

अध्यक्षता कर रहे ओमराज ने विषय प्रवेश करते हुए कहा कि उनके लेखन व जीवनी आज भी न सिर्फ प्रासंगिक है, बल्कि उनकी प्रासंगिकता उत्तरोत्तर बढ़ती जा रहीं हैं। उनकी रचनाएं कालजयी हैं। उनका सम्पूर्ण जीवन व लेखन जन साधारण से गहरा जुड़ाव रहा है। वे भारतीय साहित्य के साधक थे। उनका साहित्य भारतीय समाज की संस्कृति व सभ्यता का स्वच्छ दस्तावेज है। वे किसी वाद व सम्प्रदाय से बंधे नहीं थे। उनका लेखन अत्याचार, गरीबी, शोषण, अन्याय, अंधविश्वास, आडंबर, पराधिनता, छुआछुत आदि सामाजिक विकृतियां जो आज भी विकराल रूप में है, उसके खिलाफ मुखर आवाज है।

उन्होंने ने मात्र 28 वर्ष के कार्य अवधि में आर्थिक तंगी व गरीबी का सामना करते हुए 300 से अधिक रचनाएं की है। उन्होंने कई विदेशी साहित्य का अनुवाद, हजारों पृष्ठों के लेख, सम्पादकीय, पत्र पत्रिकाओं का संपादन किया है। वे रात में ढिबरी के सामने बैठकर लिखते थे। जिसके धुंए से टीबी बीमारी का शिकार हुए जो मौत का कारण बना। उनका हर लेखन, कथा, साहित्य भारतीय जनमानस पर नैतिक रूप से गहरा प्रभाव डालता है। वे स्वतंत्रता आन्दोलन में न सिर्फ कूद पड़े थे वल्कि अपने लेखन के माध्यम से आंदोलन को तेज किया था।

कार्यक्रम में देवदीप सिंह दिवाकर, रवीन्द्र कुमार सिंह, ललन चौधरी, लोक नाथ सिंह, अशोक कुमार, गौर चन्द्र बाउरी, संजीव कुमार कर्ण, प्रिय रंजन कुमार, ललन तिवारी, अजय अतिश, ब्रह्मदेव सिंह, सुभाष चन्द्र महतो, आर पी वर्मा, कीर्तन महतो, डाॅक्टर नागेश्वर महतो, महावीर प्रसाद, एस एन प्रसाद, आर के पी वर्मा, उमेश कुमार, आर एन ठाकुर आदि उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »