Bulletin India, Correspondent.

बोकारो / न‌ई दिल्ली। वेदांता की प्रमुख सामाजिक पहल नंद घर ने महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से पोषण माह 2025 का शुभारंभ किया है। इस मासिक अभियान का उद्देश्य ग्रामीण भारत में कुपोषण से लड़ने, स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देने और समुदायों को सतत पोषण समाधान अपनाने के लिए प्रेरित करना है। कार्यक्रम से 15 राज्यों में 3.5 लाख से अधिक परिवारों को जोड़ा गया है।

“पोषण से प्रगति” विषय पर आधारित इस अभियान के तहत प्रत्यक्ष पोषण सहायता, सामुदायिक जागरूकता और प्रौद्योगिकी एकीकरण तीन मुख्य स्तंभ होंगे। बच्चों को फोर्टिफाइड सप्लीमेंट्स, न्यूट्री बार्स व प्रोटीन शेक उपलब्ध कराए जाएंगे। साथ ही परिवारों को पोषण योजनाओं तक पहुँच, अभिभावक प्रशिक्षण, रेसिपी प्रदर्शन और स्थानीय सामग्री से बने पौष्टिक भोजन के प्रति जागरूक किया जाएगा।

नंद घर के सीईओ शशि अरोड़ा ने कहा कि “पोषण माह हमें याद दिलाता है कि भारत की प्रगति के लिए पोषण अत्यंत आवश्यक है। हमारा संकल्प है कि हर ग्रामीण बच्चा और माँ सही पोषण और ज्ञान तक पहुँचे ताकि वे स्वस्थ भविष्य का निर्माण कर सकें।”

इस वर्ष 12 सितम्बर से देशभर के नंद घर केंद्र पोषण जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन के जीवंत मंच बन जाएंगे। अभियान में नुक्कड़ नाटक, वेबिनार और डिजिटल कैंपेन भी शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त बच्चों को फोर्टिफाइड पोषण सप्लीमेंट्स वितरित किए जाएंगे।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, 6 वर्ष से कम आयु के 37.5% बच्चे अविकसित हैं और प्रजनन आयु की 50% महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। ऐसे में यह पहल सरकार की स्वस्थ व सशक्त पीढ़ी की दृष्टि को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

 

ईएसएल स्टील लिमिटेड के डिप्टी सीईओ रविश शर्मा ने कहा कि “पोषण स्वस्थ समाज और मज़बूत राष्ट्र की ओर पहला कदम है। हमें गर्व है कि हम नंद घर की इस पहल से जुड़े हैं, जहाँ स्वास्थ्य, शिक्षा और सशक्तिकरण साथ-साथ आगे बढ़ते हैं।”

 

गौरतलब है कि नंद घर का पोषण मॉडल पहले ही कई राज्यों में सकारात्मक परिणाम दे चुका है। 2024 में पोषण माह के दौरान छह राज्यों में एक लाख से अधिक बाजरे के शेक वितरित किए गए थे, जबकि राजस्थान के प्रोजेक्ट बालवर्धन से 80,000 से अधिक बच्चे और माताएँ लाभान्वित हुए।

 

नंद घर का उद्देश्य इस वर्ष सिद्ध पोषण समाधानों का विस्तार करना, समुदाय आधारित प्रथाओं को सशक्त बनाना और स्थानीय खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देना है, ताकि हर बच्चे तक संतुलित और पौष्टिक आहार पहुँच सके।

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