बुलेटिन इंडिया, बोकारो संवाददाता।
बोकारो। सरकारी कार्यालयों में आम नागरिकों की अनदेखी और नेताओं को प्राथमिकता देने की प्रवृत्ति एक बार फिर सामने आई है। ताजा मामला बोकारो के जिला शिक्षा अधीक्षक (DSE) सह अनुमंडल शिक्षा पदाधिकारी डॉ. अतुल कुमार चौबे के कार्यालय से जुड़ा है, जहां एक दिव्यांग महिला को मुलाकात के लिए चार घंटे तक इंतजार करना पड़ा, जबकि एक राजनीतिक दल के प्रतिनिधि से अधिकारी ने तुरंत मुलाकात कर ली।
शनिवार को बोकारो सेक्टर-2 निवासी दिव्यांग महिला राखी अपने बच्चे के स्कूल नामांकन से संबंधित कार्य के लिए जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय सुबह लगभग 10 बजे पहुंची थीं। उन्होंने कार्यालय में उपस्थित कर्मियों से मिलने का आग्रह किया और धैर्यपूर्वक अपनी बारी की प्रतीक्षा करती रहीं। लेकिन दोपहर के 2 बजे तक भी उन्हें DSE से मिलने का अवसर नहीं मिला।
इस दौरान एक नेता, जो स्वयं को भाजपा का पदाधिकारी तथा सांसद प्रतिनिधि बता रहे थे, कार्यालय पहुंचे। कार्यालय के कर्मचारियों ने तुरंत उनका संदेश DSE तक पहुंचाया और इसके बाद DSE डॉ. अतुल कुमार चौबे ने बिना किसी विलंब के उनसे मुलाकात कर ली। उधर, चार घंटे से अधिक समय से प्रतीक्षा कर रही दिव्यांग महिला अब भी बाहर बैठी रहीं।

जब इस विषय पर बुलेटिन इंडिया के संवाददाता ने DSE डॉ. अतुल कुमार चौबे से सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें महिला की उपस्थिति की कोई सूचना नहीं दी गई थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि उन्हें जानकारी होती, तो वे अवश्य मिलते।
हालांकि यह स्पष्टीकरण सवालों के घेरे में है, क्योंकि कार्यालय में मौजूद कर्मचारियों की यह जिम्मेदारी होती है कि वे आगंतुकों की जानकारी संबंधित अधिकारी तक पहुंचाएं, विशेषकर जब कोई महिला दिव्यांगता जैसी स्थिति में हो।
यह घटना केवल एक महिला या एक कार्यालय तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सरकारी कार्यालयों में व्याप्त उस आम प्रवृत्ति को उजागर करती है, जहां नेताओं और रसूखदारों को आम जनता पर प्राथमिकता दी जाती है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या सरकारी दफ्तरों में आम नागरिकों को सम्मानपूर्वक और समय पर सेवा मिल पाएगी?
सम्बंधित पक्षों की प्रतिक्रिया और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करना अब जरूरी हो गया है, ताकि ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।