• भाकपा माले का राज्य स्तरीय जन कन्वेंशन संपन्न: निजीकरण, भूमि लूट और रोजगार के सवालों पर उठी बुलंद आवाज।
• आज देश को हिंदुत्व की नहीं बंधुत्व की जरूरत है : द्रेज
बुलेटिन इंडिया, संवाददाता।
बोकारो। भाकपा माले ने अपने स्थापना दिवस के अवसर पर बोकारो के सेक्टर 2 स्थित कला केंद्र में राज्य स्तरीय जन कन्वेंशन का आयोजन किया। इस कन्वेंशन का मुख्य उद्देश्य निजीकरण, भूमि लूट के खिलाफ संघर्ष, विस्थापितों को न्याय, और स्थानीय लोगों को सुरक्षित रोजगार की मांग को लेकर आवाज़ बुलंद करना था। इस अवसर पर सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनों से जुड़े दर्जनों संगठनों और सैकड़ों संगठनकर्ताओं ने भाग लिया।
जन कन्वेंशन की अध्यक्षता पांच सदस्यीय अध्यक्ष मंडल ने की, जबकि संचालन भाकपा माले पोलित ब्यूरो सदस्य जनार्दन प्रसाद ने किया। मुख्य वक्ता के तौर पर भाकपा माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सरकार की नीतियों पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि “जन कन्वेंशन में आने से पहले मैं शहीद प्रेम महतो के घर गया। 23 वर्षीय प्रेम महतो बीटेक डिग्रीधारी और अप्रेंटिसशिप का अनुभव रखने वाले युवा थे, जो रोजगार के लिए संघर्षरत थे। लेकिन उन्हें रोजगार के बदले सिर पर लाठी और अंततः मौत मिली।”
दीपंकर भट्टाचार्य ने देश में बढ़ती फासीवादी प्रवृत्तियों की आलोचना करते हुए कहा कि “फासीवादी ताकतें न्याय की लड़ाइयों को धर्म, मजहब, भाषा और स्थानीयता में बांट रही हैं। यदि हमें न्याय चाहिए, तो हर अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठानी होगी। संविधान को टुकड़ों में नहीं देखा जा सकता—आरक्षण, अल्पसंख्यकों की धार्मिक आज़ादी और आम लोगों के अधिकार एक-दूसरे से जुड़े हैं।”
उन्होंने वक्फ संपत्तियों के मुद्दे पर भी टिप्पणी की और कहा कि “वक्फ का सवाल केवल मुसलमानों का नहीं है, यह भूमि अधिकारों से जुड़ा एक बड़ा सवाल है। जब देश के प्रधानमंत्री अपनी डिग्री नहीं दिखाते, तो जनता से सैकड़ों वर्षों से काबिज़ ज़मीन का कागज़ क्यों मांगा जा रहा है?”
भट्टाचार्य ने सुप्रीम कोर्ट और उसकी गरिमा पर हो रहे हमलों की निंदा करते हुए कहा, “सुप्रीम कोर्ट को ‘सुपर पार्लियामेंट’ बताकर उसकी खिल्ली उड़ाना और उसके मुख्य न्यायाधीश को धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाना लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत हैं।”
उन्होंने रोहित वेमुला और प्रेम महतो जैसे युवाओं को युवा आइकन के रूप में स्थापित करने की बात कही और ‘बुलडोजर राज’ को फासीवाद का प्रतीक बताया।
जन कन्वेंशन में विश्वप्रसिद्ध अर्थशास्त्री एवं सामाजिक कार्यकर्ता ज्याँ द्रेज ने भी शिरकत की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “देश को हिंदुत्व नहीं, बंधुत्व की ज़रूरत है। भाजपा साम्प्रदायिक फासीवाद की राजनीति कर मजदूर वर्ग की एकता को कमजोर करना चाहती है। भाकपा माले बदलाव की राजनीति करती है, इसलिए मैं उनके साथ हूं।”
इस अवसर पर विभिन्न राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी जन कन्वेंशन को संबोधित किया। इनमें माकपा राज्य सचिव प्रकाश विप्लव, भाकपा राष्ट्रीय परिषद सदस्य लखन महतो, बगोदर के पूर्व विधायक विनोद सिंह, सिंदरी विधायक चंद्रदेव महतो, राजधनवार के पूर्व विधायक राजकुमार यादव, सामाजिक कार्यकर्ता सिराज दत्ता, सहारा आंदोलनकर्मी राजेंद्र कुशवाहा, रसोईया संगठन की राज्य सचिव गीता मंडल प्रमुख रूप से शामिल रहे।
भाकपा माले के 7वें राज्य सम्मेलन के मुख्य पर्यवेक्षक और बिहार विधान परिषद के सदस्य शशि यादव भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
जन कन्वेंशन में अप्रेंटिस विस्थापित आंदोलन में शहीद हुए प्रेम महतो के भाई प्रशांत महतो, भाकपा माले के पोलित ब्यूरो सदस्य आनंद महतो, हलधर महतो, शुभेंदु सेन, भुवनेश्वर केवट, दिलीप तिवारी, राजेंद्र गोप, बी एन सिंह, पुरण महतो, आर डी मांझी, और भुनेश्वर बेदिया सहित अन्य नेता एवं कार्यकर्ता भी शामिल हुए।
कार्यक्रम के समापन पर भाकपा माले के बोकारो जिला सचिव देव द्वीप सिंह दिवाकर ने आए हुए सभी अतिथियों और प्रतिनिधियों का आभार प्रकट किया। जन कन्वेंशन से यह स्पष्ट संकेत गया कि झारखंड में व्यापक एकता के साथ जन आंदोलनों की नई धारा आकार ले रही है, जो आने वाले समय में निर्णायक भूमिका निभाएगी।