बुलेटिन इंडिया, डेस्क।

भाकपा (माले) की केंद्रीय कमेटी ने एक पत्र जारी कर कहा है कि 28 जुलाई को हम भारत के कम्युनिस्ट आंदोलन के महान क्रांतिकारी और भाकपा(माले) के संस्थापक महासचिव कॉमरेड चारु मजूमदार को उनकी 53वीं शहादत की बरसी पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस अवसर पर हम उन सभी दिवंगत नेताओं और महान शहीदों को भी सलाम करते हैं, जिन्होंने कम्युनिस्ट आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया।

 

28 जुलाई हमारी पार्टी के पुनर्गठन का दिन भी है, जो 1970 के अंक दशक की शुरुआती झटकों के बाद संभव हुआ। इस मौके पर हम तीनों महासचिवों  कॉमरेड चारु मजूमदार, कॉमरेड जौहर और कॉमरेड विनोद मिश्रा  को याद करते हैं, जिन्होंने भीषण राज्य दमन और प्रतिकूल परिस्थितियों में चुनौतियों से भरे दौर में हमारी प्रिय पार्टी का निर्माण किया और उसका नेतृत्व किया। हम उनके अधूरे क्रांतिकारी मिशन को आगे बढ़ाने के लिए खुद को पुनः समर्पित करते हैं।

 

इस समय बिहार में ‘वोटबंदी’ का एक अभूतपूर्व हमला चल रहा है, जो लाखों लोगों से मताधिकार छीन लेने की साजिश है और हमारे संविधान की बुनियाद सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को सीमित और चुनिंदा बना देने का खतरा पैदा कर रहा है। असम में हम पहले ही देख चुके हैं कि इस प्रक्रिया के तहत कमजोर और अधिकारविहीन लोगों को ‘संदिग्ध मतदाता’ बताकर मतदाता सूची और नागरिकता रजिस्टर से बाहर कर दिया जाता है। कई लोग हिरासत शिविरों में बंद हैं और कुछ को विदेश भेजा जा रहा है।

 

महाराष्ट्र में हमने एक बुरी तरह से धांधली भरे चुनाव का सामना किया, जहां धांधली का तरीका और पैमाना चुनाव के खत्म होने और नतीजों की चोरी के बाद ही सामने आया। लेकिन बिहार में यह सब कुछ हमारी आंखों के सामने हो रहा है। ऐसे में मताधिकार और चुनाव प्रक्रिया को बचाना अब जन-प्रतिरोध का सबसे जरूरी एजेंडा बन चुका है। ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ (SIR) की शुरुआत बिहार से हुई है और अब इसे पूरे देश में लागू करने की तैयारी है। इसे संविधान, नागरिकता और वोट के अधिकार पर सबसे बड़े हमले के रूप में चिन्हित कर, देशव्यापी प्रतिरोध खड़ा करना होगा।

 

जहां बिहार में ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ (SIR) का हमला जारी है, वहीं पश्चिम बंगाल के प्रवासी मज़दूरों को भाजपा शासित राज्यों में ‘अवैध बांग्लादेशी’ बताकर व्यवस्थित रूप से निशाना बनाया जा रहा है। उन्हें हिरासत में लिया जा रहा है, मारा-पीटा जा रहा है, और अपमानित किया जा रहा है. असम, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में मुस्लिमों, हाशिए पर पड़े समुदायों और गरीबों के खिलाफ बड़े पैमाने पर बुलडोज़र अभियान चल रहे हैं। 9 जुलाई की अखिल भारतीय हड़ताल में दिखी मज़दूर-किसान एकता की ताक़त को अब इस फासीवादी हमले के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में बदलना होगा।

 

पिछले महीनों में झारखंड और महाराष्ट्र में दो बड़े विलयों ‘मार्क्सिस्ट कॉर्डिनेशन कमेटी’ और ‘लाल निशान पार्टी’ के ज़रिए पार्टी की ताक़त और व्यापकता बढ़ी है। हमें इस एकता को और मजबूत करना होगा, और पूरी पार्टी की एकजुट ऊर्जा को मज़बूत पहल और निर्णायक जीतों में बदलना होगा। आज पूरा देश बिहार की ओर देख रहा है कि वह मोदी सरकार की इस तानाशाही को कैसे करारा जवाब देता है। इस ऐतिहासिक लड़ाई में भाकपा(माले) को अपनी पूरी ताक़त झोंक देनी होगी और पूरी पार्टी को इस चुनौतीपूर्ण घड़ी में एकजुट होकर खड़ा होना होगा और बिहार के साथियों को हर संभव मदद देनी होगी।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *